मैं जब भी गिरता ख़ुद ही उठ जाता थामाँ ने माँगी थीं बेपनाह दुआयें मेरे लिये एक दौर बड़ी कशमकश थी ज़िन्दगी मेंजब आये सुकून साथ लाये तुम मेरे लिये मालूम हुयी वालिदैन की दी छत की क़ीमतजब निकला शहर में ढूँढ़ने मैं घर मेरे लिये बड़ी नफ़ासत है आज उनकी अदाओं मेंज़ुम्बिश है उनकेContinue reading “दुआ”
Category Archives: अभिव्यक्ति
असन्तोष
उम्र के साथफैलता जाता है बरगदताड़ ऊँचा होता जाता है;शहर में दो बड़े आदमी हैंएक की जड़ों का अंत नहींदूसरा अकेले हवा खाता है;मिडल क्लास हो किंकर्तव्यविमूढ़लटका है त्रिशंकु साइन दोनों के बीच;झूठी हँसी के साथऊँचे नीचे बैठे हैं सबसुविधा के गलियारों में;दिखें जैसे भी बाहर सेसच यही है-तीनों असन्तुष्ट हैं। – अशान्त
अनसुनी पुकार
क्यों तुम मुझसे रूठे रामबाधायें जीवन में अविराम,किस विधि स्तुति करूँ तुम्हारीजीवन मेरा भी बने अभिराम। शबरी को अपनाया तुमनेबाली को भी तारा है,मारुति के संग रण मेंतुमने रावण को भी मारा है। कलियुग में भी आओ नाकुछ सम्बल हमें धराओ ना,इस छोटे से जीवन मेंप्रेम रस बरसाओ ना। प्रश्न उठे जब भी तुम परहमनेContinue reading “अनसुनी पुकार”
बड़प्पन
जो बैठे हैं शिखरों परनहीं सबके पाँव में छाले हैं,ऊपर चमक रही है कायापर अन्दर दिल बड़े काले हैं। हर सफल नहीं है समग्र पूज्यसब नहीं सच्चे साधन वाले हैं,“मैं” पर टिका साम्राज्य है जिनकाचने सब घने बजने वाले हैं। अपना ईष्ट बना लो तुमकहाँ वो मानव ऊँचे वाले हैं,शिष्यों की जो थामे उँगलीकहाँ गुरुContinue reading “बड़प्पन”
तेरी मोहब्बत
जिस साँस में नहीं तुम उस पर तोहमत है, हर ज़र्रा रोशन जिस से वो तेरी मोहब्बत है। बड़ा पाक है तेरे साये का हसीन असर, हर रंग-ए-ज़िंदगी बस तेरी उल्फ़त है । रहेगा ये वक़्त, ये दुनिया और उसके सितम, मिले जो तेरी पलकों का साया तो राहत है। नहीं बदलती सरे शब अबContinue reading “तेरी मोहब्बत”
अकेली मौत
पत्तियों का सूखना,बूंदों का गिरना,संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटनाआवाज़ का रूठनाबर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटबेमतलब की सुगबुगाहटखूबसूरती की बजबजाहट-ये निशान हैं किश्तों मेंContinue reading “अकेली मौत”
प्रेम निवेदन
एक निवेदन तुमसे हैकरना तुम स्वीकार प्रिये,प्रेम रत्न से सदैव तुमकरना अपना श्रृंगार प्रिये। यह जीवन का सूर्य प्रखरशीतल हो तुम छाँव प्रिये,मैं पृथ्वी सा घूमूँ नित्यधुरी तुम मेरा तुम आधार प्रिये। मैं निःशक्त हो चला था शिथिलआशा का तुम आगार प्रिये,मरुस्थल की मरीचिका मेंउपवन का तुम उपहार प्रिये। स्पर्श तुम्हारा नहीं आभासीतुम सत्यता काContinue reading “प्रेम निवेदन”
प्रेमी मन
ये मौन प्रेम की प्रखर कल्पनानहीं यथार्थ में सुखदायी,प्रेम फलता है स्निग्ध स्नेह सेनहीं इसने आदर्शों की सत्ता चाही। नैतिकता बसती है स्वत्व मेंहै उसमें भी सहज अहं भाव,प्रेम निर्झर स्व के ह्रास काद्वय का उसमें सदा अभाव। प्रेम कहे को कह सकते हैंसहज निबाह है बहुत कठिन,प्रेम अगन में जले जो मनउसके कटते नहींContinue reading “प्रेमी मन”
दबे हुये बीज
हर एक मनुष्य किसान हैवो बोता है कई बीजइनकी आशा में-लहलहाती फ़सल,फल लदे पेड़,सुंदर फूलों के गुच्छे,और कुछ नहीं तोसुकून देने वाला हरापन। आशा असीमित नशा हैक्षितिज पर पहुँच कर भीसूरज नहीं मिलता,हर दबा हुआ बीज-लहलहाती फ़सल,फल लदा पेड़,सुंदर फूलों का गुच्छा या हरापन-कुछ भी नहीं बनता। कुछ लोग बीजों की तरहमर जाते हैं ज़मीनContinue reading “दबे हुये बीज”
अकेली मौत
पत्तियों का सूखना, बूंदों का गिरना, संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटना आवाज़ का रूठना बर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटContinue reading “अकेली मौत”