बूढ़ी गायेंसब तरह से थक कर सड़कों पर डिवाइडर सी खड़ी हो जाती हैं। परसों मेरी एक से आँखें मिलीये पूछा उसने-क्या तुम्हें भी किसी ने छोड़ दिया? कोई उत्तर नहीं था मेरे पासबस कुछ दूर आगे जा कर-गालों पर पानी सा जम आया। व्यक्ति चला जाता हैप्रेम नहीं जाता;बाँट देती हैं जीवनस्मृतियाँ सड़कों परContinue reading “बूढ़ी गायें”
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फिर नहीं होगा
घुट के जीना होगा अब पर मरना नहीं होगाये प्यार जाना अब हमसे फिर नहीं होगा मिले थे जिन मोहल्लों में दिल के तुमसे छिप कर हमअब उन गलियों में जाना जाना फिर नहीं होगा ये माना देर कर दी हमने तुमको खुद को बताने मेंज़िन्दगी अब भी होगी मशविरा पर हमारा नहीं होगा तुम्हारेContinue reading “फिर नहीं होगा”
व्यग्र
क्षत-विक्षत हृदय के संग मन के हुये सब भाव अपंगव्याकुलता से त्रस्त हर अंगअवसाद रूपी लिपटा भुजंग,कितने पूछोगे प्रश्न अविरामअब कितनी परीक्षा लोगे राम? नहीं द्वेष किसी से मेरा कोईकभी न चाहूँ कि रोये कोईनिज हेतु दे दे प्रेम जो कोईइससे अधिक नहीं इच्छा कोई,कब तक लोगे अपराधी मेरा नामअब कितनी परीक्षा लोगे राम? थाContinue reading “व्यग्र”
अपनी चीज़
दुःख है! हाँ, बहुत दुःख है!पर अपनी ही बनायी हुयीकैसे फेंक दे कोई चीज़अपनी ही बनायी हुयी?इंसान नहीं फेंक पाताअपनी आँख,कान, नाक, चमड़ीऔर हृदय….तो कैसे फेंक देअपना पाला हुआ दुःख,वो दुःख जो लिपटा है प्रेम में। जान लीजियेदुःख देता है पूर्णता को प्राप्त प्रेमजब साथ नहीं आ पाता। पर प्रेम का बीज खिलाता है नवContinue reading “अपनी चीज़”
खाली सुबह
आज,न सूरज हैन हवा हैन रोशनी हैन सुख हैन दुःख है न सफलता हैन असफलता हैन साँसें हैंन मृत्यु हैन ही तुम हो;आज सुबह खाली है-जिसमें सब निरन्तर गिरा जा रहा है,अब इच्छा हैकहीं तो ज़मीन मिलेथके हुये पैरों कोचोटिल आत्मा को। – अशान्त
निराकार
जब प्रेम हमारा निश्छल था फिर क्यों न वो साकार हुआ, न रूंदन था न क्रंदन था फिर भी न कुछ आकार हुआ। निज तप में तप कर हम दो जब हुये थे उस पावन क्षण एक, न मिले हाथ पर हृदय मिले दो भाव प्रस्फुटित हुये थे अनेक। उस क्षण कहा था कण-कणContinue reading “निराकार”
किस्मत
ऐ हवा तू हर दम घुली हुयी है उनकी साँसों में काश! मेरी साँसों की किस्मत तुझ सी होती ऐ अब्र तेरा क्या तू जब चाहे बरस पड़ाकाश! मेरी आँखों की किस्मत तुझ सी होती ऐ क़लम तू क्यों छूती है उनकी उंगलियाँकाश! मेरे हाथों की किस्मत तुझ सी होती ऐ मौसिक़ी तेरा तार्रुफ़ हैContinue reading “किस्मत”
Drops of Love
Clouds over your cityAre nothing but drops of my love,All jokes that are wittyAre nothing but props of my love. To convey my simple wishes dearThey will rain to wish you on your day,To wash away all your fearI shall guard your heart till my last day. I might go down like many men unknownMayContinue reading “Drops of Love”
अपना शहर
अपने लिये कुछ भी नहीं छोड़ रहामैं अपने ही शहर में सब से मिल कर खुद को खोज रहामैं अपने ही शहर में बरगद पर लिपटी यादें देख रहामैं अपने ही शहर में पुरानी किताबों में नयी कहानी ढूँढ़ रहामैं अपने ही शहर में दीवारों पर तुम्हारी उंगलियाँ मैं छू रहामैं अपने ही शहर मेंContinue reading “अपना शहर”
कौन हूँ मैं?
पन्नों पे बिखरी स्याही देख के एक दिनख़्याल कहीं से कुछ आया ऐसाक्या ये लिखावट मेरी ही है?क्या मैंने ही लिखी थी ये कहानी?फिर कुछ डर ऐसा आया दिल मेंजो अनजाना हो बैठा मैं खुद सेपूछ बैठा फिर कुछ खुद ही खुद सेआख़िर, कौन हूँ मैं? किताबों में रंगी हुयी लाइनेंपीले पड़ गये पुराने नोट्सडायरीContinue reading “कौन हूँ मैं?”