जिस साँस में नहीं तुम उस पर तोहमत है, हर ज़र्रा रोशन जिस से वो तेरी मोहब्बत है। बड़ा पाक है तेरे साये का हसीन असर, हर रंग-ए-ज़िंदगी बस तेरी उल्फ़त है । रहेगा ये वक़्त, ये दुनिया और उसके सितम, मिले जो तेरी पलकों का साया तो राहत है। नहीं बदलती सरे शब अबContinue reading “तेरी मोहब्बत”
Tag Archives: Poems
The Window Pane
Maa, what lies outside this window pane?Is that yellow building full of children like me?Is it full of many Maa like you?Why don’t they all live with us?When shall we meet all of them?Will we find there the bird that sings so sweet?What is this world?Why I am here?Who am I?My dear son, said dearContinue reading “The Window Pane”
अकेली मौत
पत्तियों का सूखना,बूंदों का गिरना,संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटनाआवाज़ का रूठनाबर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटबेमतलब की सुगबुगाहटखूबसूरती की बजबजाहट-ये निशान हैं किश्तों मेंContinue reading “अकेली मौत”
प्रेमी मन
ये मौन प्रेम की प्रखर कल्पनानहीं यथार्थ में सुखदायी,प्रेम फलता है स्निग्ध स्नेह सेनहीं इसने आदर्शों की सत्ता चाही। नैतिकता बसती है स्वत्व मेंहै उसमें भी सहज अहं भाव,प्रेम निर्झर स्व के ह्रास काद्वय का उसमें सदा अभाव। प्रेम कहे को कह सकते हैंसहज निबाह है बहुत कठिन,प्रेम अगन में जले जो मनउसके कटते नहींContinue reading “प्रेमी मन”
अकेली मौत
पत्तियों का सूखना, बूंदों का गिरना, संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटना आवाज़ का रूठना बर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटContinue reading “अकेली मौत”
माता-पिता की आराधना
करो माता-पिता की आराधना जीवन जिनका तुम पर समर्पित कर्म-श्रेष्ठ साधक बन तुम करो सार्थक उनकी साधना। शैशव की शैया पर जब हम उलट-पलट इठलाते थे, दौड़ पड़ते थे माँ के हाथ जब-जब हम गिर जाते थे, याद करो वो दिन जब तुमने पहली बोली बोली थी, काला टीका तुम्हें लगा कर माँ खुशी सेContinue reading “माता-पिता की आराधना”
गोली
गोली से हत्या हो सकती है प्रेम नहीं; प्रेम उत्सर्ग है अहं का प्रेम विलय है तुम में मैं का; प्रेम यात्रा है उस बिंदु की जिसका विस्तार है ये संसार; अंततः, प्रेम है उन्हीं बिंदुओं से मिल कर बनीं समानांतर सरल रेखायें जो बिना एक दूसरे को काटे सदैव साथ चलती हैं! – अशान्त
माँ से शिकायत
मेरी माँओं से शिकायत है वो अपने बेटों को खाना बनाना नहीं सिखातीं वो अपने बेटों को कपड़ा सिलना नहीं सिखातीं; रोटी और कपड़ा जीवन के मूलभूत प्रश्न हैं जिनके उत्तर जीने के लिये पता होना आवश्यक है। उससे अधिक शिकायत है मुझे बेटों से जो इन प्रश्नों के उत्तर नहीं ढूंढ़ते या जान करContinue reading “माँ से शिकायत”
पॉलिटिकल प्रेम
शेखर के मन की बात उस दौर में जब सोचना ज़रूरी है। प्रेम की कोई परिभाषा तो होती नहीं , मन की एक सोच है, वही सोच साझा कर रहा हूँ….. अन्वरसिटी में जो मैं पिट जाऊँ, तुम दनादन्न विडियो लाना, फेसबुक पर डाल डाल, नक्सल अर्बन तुम बन जाना, मैं ग्राउंड वर्क सम्भालूंगी, तुमContinue reading “पॉलिटिकल प्रेम”
यादों के गद्दे
पिछली बारिश मेंइन पहाड़ों परउग आये हैं घासों के गद्दे,जैसे डायरी मेंउग आती है तुम्हारी यादें,एक समय था-तुम्हारी हँसी में आराम थाठंडे हाथों को जैसे डाल लिया हो जेब में;जिसे तुम गुनगुनाया करती थीएक पुरानी ग़ज़ल सुनी आजतुम एक बस स्टॉप होजहाँ रुक कर मेरी ज़िन्दगीहो जाती है पहले सी। -अशान्त