तेरी मोहब्बत

जिस साँस में नहीं तुम उस पर तोहमत है, हर ज़र्रा रोशन जिस से वो तेरी मोहब्बत है। बड़ा पाक है तेरे साये का हसीन असर, हर रंग-ए-ज़िंदगी बस तेरी उल्फ़त है । रहेगा ये वक़्त, ये दुनिया और उसके सितम, मिले जो तेरी पलकों का साया तो राहत है। नहीं बदलती सरे शब अबContinue reading “तेरी मोहब्बत”

अकेली मौत

पत्तियों का सूखना,बूंदों का गिरना,संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटनाआवाज़ का रूठनाबर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के;कोई अचानक ही नहीं मरता,कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटबेमतलब की सुगबुगाहटखूबसूरती की बजबजाहट-ये निशान हैं किश्तों मेंContinue reading “अकेली मौत”

प्रेम निवेदन

एक निवेदन तुमसे हैकरना तुम स्वीकार प्रिये,प्रेम रत्न से सदैव तुमकरना अपना श्रृंगार प्रिये। यह जीवन का सूर्य प्रखरशीतल हो तुम छाँव प्रिये,मैं पृथ्वी सा घूमूँ नित्यधुरी तुम मेरा तुम आधार प्रिये। मैं निःशक्त हो चला था शिथिलआशा का तुम आगार प्रिये,मरुस्थल की मरीचिका मेंउपवन का तुम उपहार प्रिये। स्पर्श तुम्हारा नहीं आभासीतुम सत्यता काContinue reading “प्रेम निवेदन”

प्रेमी मन

ये मौन प्रेम की प्रखर कल्पनानहीं यथार्थ में सुखदायी,प्रेम फलता है स्निग्ध स्नेह सेनहीं इसने आदर्शों की सत्ता चाही। नैतिकता बसती है स्वत्व मेंहै उसमें भी सहज अहं भाव,प्रेम निर्झर स्व के ह्रास काद्वय का उसमें सदा अभाव। प्रेम कहे को कह सकते हैंसहज निबाह है बहुत कठिन,प्रेम अगन में जले जो मनउसके कटते नहींContinue reading “प्रेमी मन”

अकेली मौत

पत्तियों का सूखना, बूंदों का गिरना, संबंधों का टूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। सपनों का टूटना आवाज़ का रूठना बर्तनों का फूटना-ये निशान हैं किश्तों में होने वाली मौत के; कोई अचानक ही नहीं मरता, कोई अकेले नहीं मरता। बातों की कड़ुवाहटContinue reading “अकेली मौत”

परिभाषा

मुझे इस जीवन तक ले आयीप्रेम को परिभाषित करने की आकांक्षामोक्ष से भी बड़ी हो गयीप्रेम को परिभाषित करने की आकांक्षा;निरर्थक हो गये सदियों के प्रयत्नतुमसे मिलते ही,ज्ञात हुआ तुम्हें सुनते हीप्रेम नाद-ब्रह्म है-उसे अनुभूत किया जा सकता हैपरिभाषित नहीं। मैने सोचा- तुम कौन हो?कहीं से कोई स्वर गूँजा-मैं कालातीत और अलौकिक प्रेम कीसरल, सहज,Continue reading “परिभाषा”

यादों के गद्दे

पिछली बारिश मेंइन पहाड़ों परउग आये हैं घासों के गद्दे,जैसे डायरी मेंउग आती है तुम्हारी यादें,एक समय था-तुम्हारी हँसी में आराम थाठंडे हाथों को जैसे डाल लिया हो जेब में;जिसे तुम गुनगुनाया करती थीएक पुरानी ग़ज़ल सुनी आजतुम एक बस स्टॉप होजहाँ रुक कर मेरी ज़िन्दगीहो जाती है पहले सी। -अशान्त

शहर की बाढ़

हिमालय की आँखों का पानीशहरों में पहुँच करबन जाता है बाढ़;इस पानी में-नहीं तैरती कोई नाँवनहीं पलती कोई मछली,शहरों में आकर हिमालय का पानीजीवन की तरहखारा हो जाता है। – अशान्त

धनक-पुल

क्षितिज के दो छोरों परदो प्रेमी खड़े हैंएक शायद तुम होएक शायद मैं हूँ,इन दो छोरों के बीचधनक ने बनाया है पुल-हम दोनों को पता है न तुम आओगी इस पारन मैं आऊँगा उस पार। एक एक रंग उड़ जायेगा धनक काजैसे उड़ जाता है समय के साथ प्रेमपर रहेगा रंग-कुछ तुम्हारा मुझ परकुछ मेराContinue reading “धनक-पुल”

खोया शहर

इन्सान बदलें तो चलता हैक्यों बदल जाते हैं शहर? बदला हुआ शहर बदल देता हैउन यादों कोजिन्हें उड़ाया था धुँए में हमनेनाचने को उसी आबो हवा मेंजिसमें मैं पैदा हुआऔर मर जाना चाहता हूँ;बड़ा अजीब हाल है अबनयी कहानियों वाले मेरे शहर कीहवा अब बासी हो गयी हैजहाँ नाचते थे हमउन कोनों में उदासी होContinue reading “खोया शहर”