सख्त दरवाज़े

सख्त दरवाज़े थे मेरे भी घर के पर वक़्त के साथ खुल गए वो जो कालिख़ लगी है कुण्डी पे और जो दरारे हैं पल्लों पे असर है उस आग का  जो सालों पहले मैंने लगाईं थी जो निशान था मेरे हाथ पे सर्जरी से उसे दिल पर लगवा लिया था  तब से घर के सारेContinue reading “सख्त दरवाज़े”

होगी मुझको चुभन भी

तन्हाई हसरत न थी कभी दिल की घूम फिर के दिल तन्हा फिर भी है ना मोहब्बत की कसक है ना रंजिश का असर है है रौशनी हर तरफ फैली मेरे मन पर ही ना कोई असर है खुद की बनाई दीवारों ने  बनाया है मुझे खुद का दुश्मन ये कैसा आलम है ज़िन्दगी का नाContinue reading “होगी मुझको चुभन भी”

रुसवा

रुसवा हो जो फाड़ी थी मेरी चिट्ठियाँ,उम्मीद है उंगलियाँ तुम्हारी न दुखी होंगीदिल का मेरे हाल जो भी रहा हो,उम्मीद है तुम्हारी आँखें न भीगी होंगी वो जो खून टपका था उन टुकड़ों पर,सब्र रखो तुम्हारा ना थाऔर एक हमारा दिल है, जिसमे आंसुओं की कोई कमी ना थी फासलों का ज़िक्र करना नहीं मुनासिब,तुमसे दूर मैं कभीContinue reading “रुसवा”

सूखा हुआ फूल

पुरानी धूल सनी किताब में सूखा हुआ फूल पाया है  जो आज भी महकता है बगीचे में खिले फूल जैसा महक उन यादों की जो आज तक जिन्दा है दुबकी हुई दिल के किसी कोने में कमज़ोर हो वक़्त के थपेड़ों से फिर खुल गए आज  कई पुराने किस्से किसी ने जैसे रख दी हो Continue reading “सूखा हुआ फूल”

क्या हो गया

फ़िक्र इतनी है क्यों आज अंजाम कीवक़्त आग़ाज़ के कुछ तो सोचा ना थाथा वफ़ा का जो रंग सुर्ख लाल सापल में सूखा,भला ऐसा क्या हो गया वो जगह,वो समाँ और मैं भी वहीहै ज़माना भी सब,पर मेरा आशिक नहींकुफ्र मुझसे ना जाने है क्या हो गयामेरा मालिक जो मुझसे जुदा हो गया मुफलिसी मेंContinue reading “क्या हो गया”

अनलिखा ख़त

कल आधी रात पढ़ा वो ख़तजो तुमने कभी लिखा ही नहींआंसुओं की स्याही भलाक्या कोई रंग लाती है! फिर भीआज सुबह से मन भारी हैलगता हैज़माने भर की धुंध मेरे कमरे में जमा हैतुम नाराज़ थींतो बता दिया होता यूं हीइतने कड़े ख़त कीआखिर क्या ज़रूरत थी! रोज़मर्रा की तरहजाते हुए मंजिल कोअपने जूते हीContinue reading “अनलिखा ख़त”

इलाहाबाद

तेरे पास था तो इतनी कद्र ना थी आज जाना तू सिर्फ शहर नहीं कुछ और  इमारतों पर चढ़ ये मुल्क  शायद ऊंचा हो जाए पर इलाहाबाद! तेरी रूह सिरमौर है कुछ बात तो है तुझमें कि कैफे की महंगी कॉफी तेरी चाय से हमेशा हार जाती है कि तेरे यहाँ  सर्दी में इश्क अमरुदContinue reading “इलाहाबाद”

कहाँ तुम चले गए?

तुम चले जाओगे तब सोचेंगे,हमने क्या खोया हमने क्या पाया  आज संगीत की विधा ने एक चमकता हुआ सितारा सदैव के लिए खो दिया. ग़ज़ल-ए-आज़म जगजीत सिंह के लिए आज की सुबह उनके जीवन की आखिरी सुबह साबित हुई. उन्होंने इस नश्वर जगत को तो अलविदा कह दिया किन्तु अपनी महानता के परिचायक ऐसे असंख्यContinue reading “कहाँ तुम चले गए?”

तकनीकी विकास का बच्चों पर दुष्परिणाम

विकास एक ऐसी दोधारी तलवार है,जिसका अगर विवेकपूर्ण उपयोग ना किया जाए तो वह हमारी उन्नति एवं आत्मरक्षा का साधन होने के बजाय विनाश का कारक भी बन सकता है. विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य के जीवन की सार्थकता को सिद्ध करती करती है. मानव जाति को विश्वास दिलाती है कि वो इसContinue reading “तकनीकी विकास का बच्चों पर दुष्परिणाम”

घाव अभी ताज़ा है

कल ही की तो बात है मैं गिरा था अपने घर के आँगन में बस हलकी सी खरोंच ने माँ को रुला दिया था उस दिन दिल्ली में घायलों को टी.वी. पर देखा तो सोचा क्या बीती होगी इनकी माओं पर मेरी चोट तो हल्दी से ठीक हो गई पर यहाँ घाव अभी ताज़ा हैContinue reading “घाव अभी ताज़ा है”