निकलो ना इस धूप में!!

निकलो न इस धूप मेंकुछ पीला पहन करकहीं सूरज ना छुप जाएबदली में तुझसे घबरा कर। तेरी रूप की शमा है जोनही है मामूली बड़ी ख़ास हैजल जाएगा वो हर कोईजो मुझे छोड़ तेरे पास है। ना मुस्कुराना तुम खुल केकहीं ये फिजा ना बहक जाएबुझ गए थे जो इरादे जवानकहीं ना फ़िर दहक जाएँ।Continue reading “निकलो ना इस धूप में!!”

कब तलक

कब तलक तेरे संग दो लम्हों को तर्सूंगा मैंन जाने कब मेरे आगे तेरे जज़्बात बेपर्दा होंगेपर ये उम्मीद है की वो शाम भी आएगीजब कोई महफ़िल ना हमारी मुलाकात- ऐ-गवाह होगी। ये तूने ही लिखा था मुझको जानमकी खुल के ना हुई गुफ्तगू अब तकपर ये समझ में ना आए मुझेकी अफ़सोस है येContinue reading “कब तलक”

क्या क्या भुलाओगे?

कितनी दूर मुझसे जाओगेकितनी कसमें तुम भुलाओगेहम तो बस डरते हैंक्या तुम सच में छोड़ जाओगे? कितने पलों को कहो भुलाओगेकितनी यादों को कहो मिटाओगेकितने एहसासों को छुपाओगेअब तक कुछ न बताया है तुमनेक्या औरों जैसे तुम भी रिश्ता निभाओगे?क्या तुम सच में मुझे छोड़ जाओगे? अशांत

तुम आईने के सामने बैठे हो!!

तुम आईने के सामने बैठे होबताओ न तुम्हे क्या दिखता है?तुम्हारा चेहरा, मेरा अक्स, हमारा वजूदबताओ न तुम्हे क्या दिखता है? तुम आईने के सामने बैठे होतुम्हारे हाँथ बाल बनाते हैंकाली घुंघराली जुल्फों के सिवा बताओ न तुम्हे क्या दिखता है?तुम आईने के सामने बैठे होअपने हुस्न पर इतराते होक्या असर है मेरे एहसास का?बताओContinue reading “तुम आईने के सामने बैठे हो!!”

कोई ख्वाब छुपा रखा होगा!!

अपने सिरहाने तुम ज़रा देखो तोकोई ख्वाब छुपा रखा होगावो सब सवाल जो तेरे में हैंउन सब का जवाब रखा होगा। यूँ तुम्हारे इस जहाँ मेंहमारी मुलाकातों का कोई ज़िक्र नहींपर यकीं है की ख़्वाबों की उस जहाँ मेंअपनी हर मुलाकात का हिसाब रखा होगा। मेरी याद में जो बाहें है आँसू तेरे‘उनका’ तेरे चहरेContinue reading “कोई ख्वाब छुपा रखा होगा!!”

ये मेरा अपना शहर है

ये मेरा अपना शहर हैगवाह मेरी ज़िन्दगी काइल्म है इसे मेरी हर बात का जो छुपे है उन जज़्बात काफ़िर भी यहाँ सुकून नहींजैसे हो कोई गैर और अपना नहीं।ये मेरा अपना शहर हैयहीं पर बाचपन मेरा बीता हैइसी की सड़कों पर चलकर जीवन का सबक मैंने सीखा हैफ़िर भी यहाँ सुकून नहींजैसे हो कोईContinue reading “ये मेरा अपना शहर है”

आशिक कई बने है तेरे!!

आशिक कई बने हैं तेरेतेरी मासूमियत के वार से नज़रें इनायत कीजिये तो ज़राहम भी खड़े है इस कतार में।अपनी नजाकत का है न इल्म तुझे हर अदा दिल पर असर करती हैशबाब पर होती हैं आहें जबहया से तेरी आँखें झुकती हैं।वाडे करने की रस्म है तो चलो हम पूरी कर देंगेयकीन नही हैContinue reading “आशिक कई बने है तेरे!!”

खून खंजर से ही नही!!!

खून खंजर से ही नहीलफ्जों से भी होता हैसीधे चेहरों के पीछे भीकई बार कातिल छुपा होता है।मोहब्बत का खेल है जहाँ मेंजिसके कई कच्चे खिलाडी हैंदो लफ्जों के बदले लिख दी ज़िन्दगी साड़ीदेखो सब कितने अनादी(anaadi) हैं।मासूम से दिल है सारे अपनी सी सबकी नीयत दिखती हैगुलों से जिसने अपना महबूब पूजाउसे दूजों केContinue reading “खून खंजर से ही नही!!!”

दुनिया के इस बाज़ार में कई खिलौने बिकते हैंबड़े लोग है आप कोई भी खरीद लिया होताजान थी उसमे जिस खिलौने से आपने ये सलूक कियाज़रा यूँ मारने से पहले थोड़ा रहम तो किया होता!! दुनिया जिसको सुनती थी तबियत सेआज ऐसी एक कहानी ख़त्म हुई। कल तलक जिन्हें बेपनाह मोहब्बत करते थेआज उनकी कहानीContinue reading

ज़िन्दगी और क्या है ?

ज़िन्दगी और क्या हैमौत का सफर ही तो हैज़िन्दगी और क्या हैएक घुपा हुआ नश्तर ही तो हैज़िन्दगी और क्या हैएक टूटी आरजू ही तो हैज़िन्दगी और क्या है एक लडखडाती लौ ही तो हैज़िन्दगी और क्या है —- सपना अकेले कोई देखता नहीआरजू तो जोड़े में चला करती हैनसीहत ज़माना देते थकता नहीउनको जोContinue reading “ज़िन्दगी और क्या है ?”