तुम तन्हा कहाँ छोड़ गए बस इतनी सी बात पर मुंह मोड़ गएकल ही तो किया था तुमने इकरार और आज ही अपना इरादा भूल गए।ग़म है मुझे इसमे कोई शक नहींइस अंदाज़ से तुम दिल तोड़ गएनाज़ुक सी सिसकी की जगहबेवफाई के झटके से झंक्झोड़ गए।इश्क बराबरी तो नहीं चाहती रसूखों कीतुम तो चाहतContinue reading “तुम तन्हा”
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इतना आज वक्त नहीं
दूसरों के लिए सोचें ज़रा इतना आज वक्त नहीं दिल से रो और हँस सके इतना आज वक्त नहीं दूसरों को दिखाने से फुर्सत कहाँ कुछ सच्चा सोचने का वक्त नहीं जिस्म के आगे बढ़ सकें हम इतना आज वक्त नहीं आँसू बहता है तो बहने दें रूमाल देने का आज वक्त नहीं दोस्ती जरियाContinue reading “इतना आज वक्त नहीं”
ढूँढता रहा!!
बादलों में सूरज ढूँढता रहारास्तों में मील के पत्थर ढूँढता रहाजिसकी ज़रूरत थी वो पास ही थाऔर मैं उसे कहाँ कहाँ ढूँढता रहा। सामने रह कर भी ना नज़र आयामैं यहीं था ना जाने वो कब आयाबाहें पकड़े बगल ही बैठा थाऔर मैं उसे कहाँ कहाँ ढूँढता रहा। डूबे हुए सूरज में कुछ ऐसा डूबाContinue reading “ढूँढता रहा!!”
टापर (TOPPER)
भारतीय सामाजिक एवं शैक्षणिक पृष्ठभूमि में एक भिन्न भांति की व्यवस्था है जो की साधारण मनुष्यों में से कुछ सौभाग्यशालियों को ऊंचा दर्जा प्रदान करती है। जैसे ही कोई साधारण मनुष्य अपने प्रयासों, कयासों, या पहुँच के कारण इस वर्गीकरण में स्थान पाया है, तब उसका अतुल्य महिमामंडन अकल्पनीय होता है। पूर्व का साधारण साContinue reading “टापर (TOPPER)”
इस जहाँ में हमने सुना है इबादत का कुछ ऐसा ही दस्तूर है इंसानों का मोल कुछ नहीं पर पत्थरों का मोल ज़रूर है। इबादत मैंने भी की थी किसी की वो जो शायद जहाँ में सबसे पाक था पर उस खुदा ने भी धोखा ही दिया मैंने सजदा छोड़ा तो फ़िर बुरा क्या किया?अशांत
नहीं है!!
साकी तू मेरे ज़ख्मों को ना आज भर सकातेरी शराब में आज वो पहला सा नशा नहीं हैज़िन्दगी में मेरी न पहले से कोई फर्क हैआज तेरी ही अदा में वो जवानी नही है। जाम हाथों से तूने आज भी है पिलायाजो ग़म को भुला दे वैसी आज उसमे रवानी नही हैदर्द से डूबा हैContinue reading “नहीं है!!”
ये बारिश
ये बारिश मुझे तेरी याद दिलाती हैइसकी ठंडक ना मेरी तन्हाई बुझा पाती हैसोचा था इस मौसम में सुकून मिल जाएगापर हालातों की बिजली बहुत डराती है। तनहा इस मौसम के नजारे देखता हूँरुसवा है जो किस्मत उसे ढूँढता हूँसामने ज़िन्दगी की नदी दिखती हैमिले तू जहाँ वो किनारा ढूँढता हूँ। शायद सोचो जैसा चीज़ोंContinue reading “ये बारिश”
बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क में!!
बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क मेंमैं फना हुआ तुझमे मेरी जानलाख कोशिश की अपनी हस्ती बनाने कीआख़िर में तुझमे हुआ फ़ना मेरी जान। हर ख्वाहिश में बस यही होता हैकि मेरी चाहत का तू इस्तेकबाल करेबातें परेशानी अपनी तू कहे मुझसेकुछ ऐसा तू मेरा इस्तेमाल करे। कोई ऐसी दवा काश देता खुदा मुझेहर दीवार मेंContinue reading “बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क में!!”
तेरी गली!
तेरी गली मुझ पर शक कर रही हैआज मुझे देख सब से कहती हैतू कल भी यहाँ आया थापर मैं कब गया था मुझे पता नहींजो वहाँ था शायद मेरा साया था। ऐ मेरी जान तू बता तुझे क्या लगता हैक्या मैं सच में बता वहाँ आया थाअब अगर सच ही बोलना है तुझकोतो इकरारContinue reading “तेरी गली!”
तेरी हर बात मुझे याद आती है!!
तेरी हर बात मुझे याद आती हैज़िन्दगी होती मेरी शुरू जब दुनियासो जाती हैइस पागलपन का तुझे भी है इल्म सनमतभी तो तू हर रात मेरे ख़्वाबों में आती है। बेलिबास मेरी हर आरजू होती हैजब तू मेरी बाहों में होती हैतू भी बता कुछ अपना हाल-ए-जुस्तजूजब तू जानेमन मेरे साथ होती है। तेरी खामोशीContinue reading “तेरी हर बात मुझे याद आती है!!”