आख़िर आप चाहते क्या हैं?

बहुत अहंकारी हैं आप!आपके सोचने से आपका प्रेमसबसे सच्चा नहीं हो जातादुःखी होने पर सिर्फ़ आपके हीआँसू नहीं बहते,प्रेम बस शब्दों और भावनाओं से नहींप्रैक्टिकैलिटी से चलता हैनहीं समझ पाये तो ये ग़लती है आपकी,क्योंकि अगर किसी को दुःख पहुंचाना हैतो दूर बैठे आपको ही क्यों नहीं?वैसे भी, जो गायज़्यादा मारती हैचौकड़ी भरती है रखाContinue reading “आख़िर आप चाहते क्या हैं?”

प्रेम-सूर्य

मेरे कमरे में धुंध भर गयी हैप्रेम-सूर्य कहाँ हो तुम?अब और न छिपो मुझसेमुझे कुछ दिखाई नहीं देता,मैं कब तक चलूँगा अंदाज़े सेइन पथरीली राहों पर अंधेरा चुभता है बहुतअब मेरे दिल को;दूर ही सही आकाश में आओ तोअपने नैनों की चमक दिखलाओ तो,तुम्हारी किरणों को छूकर मान लूँगातुम मेरे पास हो! इस ज़मीन परContinue reading “प्रेम-सूर्य”

मेरे राम

अतल अथाह कष्ट जीवन केहोते स्वयं से नित नूतन संग्राम,खोलो द्वार अब तो आशा केकुछ कष्ट हरो अब मेरे राम। प्रेम के सब सूखे हैं झरनेसूखा हृदय है सुबह-शाम,कृपा-सरिता को दो अब बहनेतृष्णा हरो अब मेरे राम। बातें कर कर ये मन हाराव्यर्थ गया यह जीवन तमाम,अंत करो सब व्यतिक्रम हमाराअवगुण हरो अब मेरे राम।Continue reading “मेरे राम”

चलो सब अदालतें बंद कर देते हैं!

अलसाती दिसंबरी ठंडी में जब कोहरा धूं-धूं उड़ता है रातें  लम्बी होती हैं  सूरज जब देर से चलता है  उन्हीं सुबहों में जब    मखमली कंबलों में  पैर हमारे सिकुड़ते हैं  सिर तकियों में धंसते हैं  कोयल भी धीमे गाती है  नींद भी धीरे जाती है, ऐसी सुंदर दुनिया में  आखिर क्यों जिरहे होती हैं?Continue reading “चलो सब अदालतें बंद कर देते हैं!”

तस्वीरें

तस्वीरें स्क्रीन पर नहींकाग़ज़ पर अच्छी लगती हैं,उभर आते हैं जज़्बातकाग़ज़ की ख़ुशबू के साथ,जी सा जाता है वो पलजब कोई मुस्कुराया थाऔर पहुँच जाती है आवाज़ेंचीर कर गाड़ियों का शोरभेद कर कोहरे का गुबारपार कर दूरी की लंबी दीवारउस तक,जो बंद कमरे में देख रहा हैआज भी तस्वीरें;आँखें आँसुओं से धुंधली हैदिल कसक सेContinue reading “तस्वीरें”

पैरहन

मेरी किताब के पहले पन्ने पर लिखे लफ़्ज़मेरे नहीं तुम्हारे हैंआज कल कलम की नोंकमुड़ जाती है उधरजिधर तुम्हारी आँखें मुड़ जाती हैं;कई बरसों से मुझे नींद नहीं आयी हैजो किसी ने नहीं पूछेवो सवाल परेशान करते हैंकोई सपना मंज़िल तक पहुँचता नहींतुम सो जाओ शायद मुझे भी आराम मिले। वो सुर्ख़ आवाज़ तेरीन जानेContinue reading “पैरहन”

तुम जैसा जहान में नहीं

कभी कोई शक़ हो ख़ुद परले लेना मेरी नज़र तुम उधार,यक़ीन हो शायद तुम्हें उस पलतुम जैसा हुस्न जहान में नहीं। कभी कोई गिला हो ख़ुद परले लेना मेरी वफ़ा तुम उधार,यक़ीन हो शायद तुम्हें उस पलतुम जैसा शख़्स जहान में नहीं। कभी कोई ग़म हो ख़ुद परले लेना मेरी हँसी तुम उधार,यक़ीन हो शायदContinue reading “तुम जैसा जहान में नहीं”

मेरा चाँद

मेरा चाँद आसमान में नहींमेरे दिल में निकलता है,मेरा चाँद सुबह शाम से परेहर पल मेरे दिल में पिघलता है,मेरा चाँद जब आता है आँखों मेंसुलझाता है गिरहें ज़िन्दगी की। मेरे चाँद में कोई दाग़ नहीं हैकभी-कभी उसे नज़र लग जाती है, मन भर देखता नहीं उसेबंद आँखों से ही छू लेता हूँ,मेरे चाँद को छूनेContinue reading “मेरा चाँद”

डूबता सूरज

ऐ डूबते सूरज!क्या निगल सकते हो तुम?मुझे और मेरे संतापों कोउस प्रकाश की तरह जोतुम्हारे डूबते हीचला जायेगा पृथ्वी से,जीवन से भी। ऐ डूबते सूरज!क्या ये सच है?तुम षड्यंत्रकारी होडूबते हो कि उग सको कहीं औरचल सके तुम्हारी सत्ता निरन्तरप्रेम, ईर्ष्या, द्वेष, भावनायेंचलता रहे माया का व्यापार। ऐ डूबते सूरज!गर्व होता होगा तुम्हें भीजब पूजतेContinue reading “डूबता सूरज”

प्रेम समर्पण

ये प्रेम समर्पण मेरा तुमनैना स्वीकार करोसब सीमायें तोड़ करनिर्बन्ध मुझे तुम प्यार करो जो सुंदरता का मान तुम्हारामुझको रखना होगानित नयन से नयनों के तेरेअमृत रस चखना होगा जो सुगंध तुम्हारे प्रेम कीतुम्हारे स्वरों से आती हैमेरे नीरस जीवन कोबस वही सरस बनाती है प्रेम एकता दो आत्माओं कीलघु-दीर्घ का मान नहींये भावों काContinue reading “प्रेम समर्पण”