ये साथ-साथ की कसमें ये साथ-साथ की रस्में ये साथ-साथ की बातें ये साथ-साथ की रातें ये साथ-साथ का रासें ये साथ-साथ की सांसें ये साथ-साथ की आँहें ये साथ-साथ की बाँहें ये साथ-साथ की पूजा ये साथ-साथ कोई दूजा ये साथ-साथ का सच ये साथ-साथ का झूठ ये साथ-साथ का मर्म ये साथ-साथ कीContinue reading “ये साथ-साथ”
Tag Archives: Poems
हमको ज़रा बता दो
बरस सके जो तुम पर वो बादल कहाँ बता दोकहाँ भेजे तेरी तस्वीरें वो पता कहाँ बता दो वो छुअन तुम्हारे गालों की अटकी है दिल मेंजहाँ जाकर भूल जाये वो जगह ज़रा बता दो गा लेते जो तुमको मौसिक़ी वो मिली ही नहींकैसे गुनगुनाये तुमको तरीका कोई बता दो ख़ुशक़िस्मत हैं वो हबीब जोContinue reading “हमको ज़रा बता दो”
सुनैना
मुक्काबाज़ में सुनैना को देखने समझने के बाद ये कुछ अपरिपक्व विचार आये जिनके आधार पर कोई व्यकितगत मूल्यांकन करना अनुचित होगा। एक भावनात्मक हृदय की अभिव्यक्ति को वास्तविकता और यथार्थ की कसौटी पर परखे बिना इसे पढ़ें…. क्योंकि भावनाओं का वास्तविकता के साथ कोई संबंध नहीं है। किसी भी प्रकार की समानता महज एकContinue reading “सुनैना”
Completeness
You need to tackle thorns in lifeWith so many flowers aheadEverytime you are hurtListen all curse so curt, butWith you noone can compete‘Cos you are a man so complete. You need to tackle dripping dewWith so long winters aheadThey will call you dumbMake all your senses numb, butWith you noone can compete‘Cos you are aContinue reading “Completeness”
उत्तरायण का सूरज
उत्तरायण सूरज है आज मीठा तेरा तिल है आज ,टीस बहुत है दिल मेंमेरा चाँद दूर बहुत है आज। शीत हवा की जाती हैमन में बेचैनी आती है,साथ न कोई साथी हैखाली शब्दों की थाती है। सूरज का इतना व्यापारहुआ मकर रेखा के पार,लोग सब आते जाते हैंस्मृतियों का लगता अंबार। बुकोव्स्की प्रेम को कहताContinue reading “उत्तरायण का सूरज”
थोड़ी सी नींद
ये बचपन नहींजब आँख का बंद होनाहोता था नींद का आना,अब तो आँखें बंद होते हीमन चलने लगता हैआज से पीछेआज से आगे;इसी दौड़ मेंबहुत दिनों से नींद नहीं आयी है,काश! कोई गोद में रख लेता सिरऔर सिर पर अपने हाथफिर होठों से पी लेताइन जागती आंखों के सपनेजो न जीने देते हैंना ही सोनेContinue reading “थोड़ी सी नींद”
कुछ तो होगा यहाँ
तुम्हारे लियेकुछ तो होगा यहाँ;ताज़े नहीं सही बिखरे फूलों की ख़ुशबूतो होगी तुम्हारे लिये,प्यार नहीं सही किसी की दुत्कारतो होगी तुम्हारे लिये,मंच नहीं सही नेपथ्य की संभावनातो होगी तुम्हारे लिये,पुरस्कार नहीं सही कुछ सांत्वनातो होगी तुम्हारे लिये,उपलब्धि नहीं सही सादी ज़िन्दगीतो होगी तुम्हारे लिये,कुछ भी नहीं सही तुम्हारी रूहतो होगी तुम्हारे लिए। और नहीं हैContinue reading “कुछ तो होगा यहाँ”
Make me dead first
Life is dripping from winter leavesTell me how to slake my thirst,A broken heart is too much to holdMy love make me dead first. I wish to travel to the PacificImbibe all calmness within,I wish to feel freshness of oceanShun ghetto of misery within. Journey of life started aloneIs there use of other soul too,WeContinue reading “Make me dead first”
निष्ठुर
सर्दियाँ निष्ठुर होती हैं-गरीबों के लियेबच्चों के लिये बूढ़ों के लियेजानवरों के लियेजो दूसरों पर निर्भर हैंउनके लिए। आ जाती है निर्भरता कुछ प्रेम में भी,हर बात बतानातस्वीर दिखानाजिस पर कोई भी ना हँसेउस बात पर हँस जानाजो दुनिया देती हैउस से इतर नाम से बुलानादेर से सोनाफिर जल्दी जग जाना;एक दूसरे कीआदत सी बन जाती हैफिरContinue reading “निष्ठुर”
जानते हो
शेखर (परिचय के लिये क्लिक करें) एक समकालीन संभावना हैं (छाते में घर की सुंदर सम्भावना)जो भावों को शब्दों की कूची से कागज़ों पर उकेरती हैं। कविता क्या है? इस पर कई निबंध लिखे जा चुके हैं पर कोई अंतिम निष्कर्ष ना निकल पाया है ना निकलेगा क्योंकि सतत परिवर्तनशील मानव भावनाओं को परिभाषाओं औरContinue reading “जानते हो”