मेरी ज़िन्दगी का हालउस ज़मीन जैसा हैजो है तो बहुत बड़ी,जिस पर है नज़र हर किसी की,पर नहीं है उसकामालिक कोईइसलिये,अब वहाँ फूल नहींबस, झाड़-झंखाड़उगते हैं। -प्रशान्त
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फ़िर आयेंगे
मर तो जायें हम उनके जाने से पर,कह गये हैं वो कि हम फिर आयेंगे। जा चुके थे जो बादल बारिशों के बाद,साथ उनके सर्दियों में वो फ़िर आयेंगे। किताबों में जो किस्से लिखे न गये,ढलती उम्रों में वापिस वो फ़िर आयेंगे। मेरे साथी जो मेरे शहर से गये,किसी शाम मिलने वो फ़िर आयेंगे। मैंContinue reading “फ़िर आयेंगे”
वो तो मेरा माज़ी था
हाँ ये सच है कि उस वक़्त मैं राज़ी थापर जो बीत गया,वो तो मेरा माज़ी था फ़ीके ही सही मेरी क़लम के अशआर हैं येजो छूट गया गहरा स्याही में,वो तो मेरा माज़ी था तसव्वुर में मेरे आज अक्सों की है दौलतसच्ची थी तस्वीरें जो,वो तो मेरा माज़ी था हिज्र की ठंडी आहें जमाContinue reading “वो तो मेरा माज़ी था”
मेरी बाहों में
यूँ कुनमुनाओ मेरी बाहों मेंये रात गुनगुनी हो जाये झटक दो बालों से बरसातकुछ गुदगुदी हो जाये कोई सुन न ले किस्सा मेराकानों में बुदबुदी हो जाये बंद कर लो तुम अपनी आँखेंथोड़ा लुकाछुपी हो जाये बना लो मेरे हाथ को तकियाथोड़ी झुनझुनी हो जाये थाम लो मेरे जज़्बातों को पहलेमेरी हर बात न अनसुनीContinue reading “मेरी बाहों में”
सच्ची कोशिशों का ईनाम ख़ुदा ज़रूर देता है
सिजदे में झुके सर रोज़े की नमाजों में मालिक देता है रहमत इंसानियत के जहाजो में मेरे जज़्बे पर मेरे मालिक की नज़र है मेरे झुके सिर को वो एहतेराम देता है मैं अधूरा हूँ उसके मुकम्मल जहान में फिर भी शुक्रिया उसे सुबह-शाम देता हूँ तड़प के मर जाता है कोई जब बंद दरवाज़ेContinue reading “सच्ची कोशिशों का ईनाम ख़ुदा ज़रूर देता है”
फिर भी, प्रेमी न थे!
मिल सको तो मिलोजैसे पहली बार मिले थे तुमथोड़े से मासूमथोड़े से नाज़ुकथोड़े से अल्हड़थोड़े से ‘तुम’ सब सुन्दर था तबउस बड़े घर की तरहजिसके अंदर कोई गया नहींहर कोना नया थाअनछुआ सा, सब ढका थाधूल से बचाने वाले कपड़ों से सुन्दर थे तुम? पता नहीं!कैसे थे तुम? पता नहीं!बस इतना पता हैकुछ अलग थाContinue reading “फिर भी, प्रेमी न थे!”
कुछ पता नहीं
माँ वाली शर्ट की उधड़ी सिलनजब सिली थी तुमने पहली बारना समझ आया थातुम पास आयी थी यामाँ हुयी थी दूरमैंने आज फिर वही शर्ट पहनी हैमाँ आज भी नाराज़ हैतुम्हारा कुछ पता नहीं! पलाश का वो फूलजो उठा लायी थी तुमअपने कमरे के सामने सेसिकुड़ गया था तुम्हारे हाथ मेंजो लुगदी की तरहबचे हुयेContinue reading “कुछ पता नहीं”
मैं पुराना ही अच्छा था शायद
मैं पुराना ही अच्छा था शायदतब कोई भी बात मुझेपरेशान नहीं करती थी,और अब,सफ़ेद शर्ट पर थोड़ा सा छींटाकर देता है परेशान मुझे। मैं पुराना ही अच्छा था शायदतब न कोई मुंसिफ़ था औरन ही कोई वक़ील,और अब,एक छोटी सी बात भीबड़ी लम्बी बहस बन जाती है। मैं पुराना ही अच्छा था शायदतब बिना बात हँसी भीनाContinue reading “मैं पुराना ही अच्छा था शायद”
चलो इश्क़ महकायें
चलो इश्क़ महकायें उस ख़ुशबू की तरह न बंद हो जो बोतल में बस ठहर जाये उस लम्हे की तरह जो रहेगा आज और कल एक सा तुम्हारी-मेरी तरह। इत्तेफ़ाकन खो भी जाये इश्क़ कभी पहचान लें हम उसको जैसे पुरानी डायरी में दबी लाइन महक रही है जो मोहब्बत से इतने सालों बाद भी Continue reading “चलो इश्क़ महकायें”
रिश्ता
रिश्ता ऐसा होजो बहे तोजम जायेजैसे ख़ून का थक्का,जो हो जाता हैलाल से कत्थईऔर फिर कालाठीक,तुम्हारे दिल तरह। -प्रशान्त