Journeys of Life

Life is an aggregate of various journeys undertaken by us in pursuit of our goals. The rising Sun witnesses a new journey everyday, paths being similar or different depending on the intensity of our efforts. Centrality of actions is an inescapable attribute of life. Any happening in the present times owes its existence to theContinue reading “Journeys of Life”

Just Another Guy

Random ramblings of an eternal Allahabadi romantic…. Allahabad does not countenance closure. It continues like the mighty Ganges and acquires a greater form even after disappearing into enormous Bay of Bengal. All the ruggedness and travails do not deter the mighty river from undertaking the journey. Same is true for love that blooms in thisContinue reading “Just Another Guy”

खुले पैर

टूटा हुआ दिल कवितायें रच सकता है पर टूटा हुआ मन नहीं। पता नहीं दुबारा कब कविता लिखने का मन होगा जो कि प्रतिक्रियात्मक नहीं अपितु नैसर्गिक भावों कि अभिव्यक्ति होगी। तब तक शेखर लिखती रहेंगी और उनकी लेखनी आप सबसे साझा होती रहेंगी। आसमान की ये स्याह चादर  मेरे लिये कुछ छोटी सी पड़Continue reading “खुले पैर”

ब्यूटी स्लीप

ब्यूटी स्लीप- पहली बार यह शब्द तुम से सुना थामन में आया था बस यह विचारजो सहज ही सुंदर हैउसे क्या आवश्यकता आडम्बर कीशायद इसीलिये नहीं अच्छा लगा कभीमुझे तुम पर मेकअप;यह पितृसत्ता नहींतुम्हारे प्रति मेरी श्रद्धा है। आज तुम सज रही होगीसबको सुंदर दिखने कोतुम मेरी नहीं थी कभी,परउसका आभास आज हुआ हैकुछ कृत्रिमContinue reading “ब्यूटी स्लीप”

आत्मप्रवंचना

पिछले साल कहा था तुमनेतुम मुझसे मिलने आओगीउस नगर जो मेरा नहीं थावहाँ से चलना था हमकोजहाँ दोनों नहीं गये थे कभीतुम बिना बताये चुप हो गयेमैं कर रहा प्रतीक्षा आज भी तुम्हारे आने की। उन मनोरम स्थलों पर जहाँ तुमने नहीं जाना चाहा मेरे साथजब भी देखता हूँ तुम्हारे चित्रसत्य है मुझे नहीं होताContinue reading “आत्मप्रवंचना”

एकपक्षीय निर्णय

किसी पेड़ के तने की तरहतुम मेरे जीवन की स्थायी आशा नहीं थेतुम फूल थेतुम्हें मुरझाना ही था,जिसे तुमने प्रेम समझावो अभिव्यक्ति थी आत्म-ग्लानि कीमेरे पूर्ण जीवन में तुम्हारा सिसकता चेहरामुझे अच्छा नहीं लगतामैं क्या करती उसके सिवाजो मैंने कियाएक अच्छे लिबास से हटानी पड़ती हैअनचाही कतरन। तुम एक रोमांच थेचाहिये होता है स्थायित्व जिसकेContinue reading “एकपक्षीय निर्णय”

कान्हा नैश्नल पार्क

मुझे याद है कान्हा नैश्नल पार्क की वो सुबहजहाँ पहुँची थी मैं एक झुंड के साथसुना था वहाँ रहते हैं बाघ और सियारहम सब में रहता है बाघ और सियार,मेरे लिये भी सब नया थाकिसी ने मुझे हाल में “फौक्सी” कहा थासच कहूँ तो मुझे तुम याद भी नहीं थेगलती तुम्हारी है तुमने मुझे कभीContinue reading “कान्हा नैश्नल पार्क”

पिछले दिसम्बर

पिछले दिसम्बर इसी ठंड मेंमैंने तुमको भीड़ में देखा था,मुझे पता था कि उन सैकड़ों लोगों मेंतुम सिर्फ़ मुझे देख रहे होसभी सजावट तुम्हारे प्रेम का विस्तार थीजो कि सिर्फ मुझे दिखाई दे रहा था;इस दिसम्बर सब फिर वैसा हैफिर सजावट हैपर तुम्हारे प्रेम का विस्तार नहींसब संकुचित हैमेरी पीठ पर अनलिखे शब्द पढ़ने कोतुमContinue reading “पिछले दिसम्बर”

संगीत

जब तक तुम थे प्रेम संगीत था,तुम्हारे जाने के बादसुर हैंस्वर हैंताल है, परसंगीत नहीं है;कहीं दब गया है भीतर प्रेम भी-सब बहुत प्रैक्टिकल है। सुना है तुम अब दूसरे कमरे में रहते होवहाँ और लोग हैं तुम्हारे साथक्या बचा है वहाँ मेरा स्पर्श?क्या बचा है वहाँ मेरा अस्तित्व?रस्में बहुत मजबूत होती हैंतुम्हारा बदला रूपContinue reading “संगीत”

किताबें

कुछ किताबें पढ़ करकिसी को कुछ किताबें दी थींउनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैंमैंने कुछ और अर्थ निकाले उसने कुछ और;जीवन में सब परस्पर नहीं होता। वो किताबें अलमारी में नहीं हैंन ही सजी हैं कहीं करीने सेमेरे बताये अर्थकहीं बदल न जाये पढ़ने से,इसलियेसजा लिया है उसने उनकोबिना पढ़े हुये;वो न पढ़ी हुयीContinue reading “किताबें”