वो अकेला उड़ गया है

वो परिंदा जो था मेरा आज देखो उड़ गया हैजितने अरमाँ थे हमारे साथ लेके उड़ गया है,बेकरारी है अगर उसका बोलो क्या करेंसाथ देता जो हमारा वो अकेला उड़ गया है। जान लिया जिसको हमने उस से कैसी आरज़ूबंद दिलों से होगी आख़िर उनसे कैसी गुफ़्तगू,मुश्किलें है मगर उसका बोलो क्या करेंमिल न जायेंContinue reading “वो अकेला उड़ गया है”

नया पैबंद

प्रस्तुत पंक्तियाँ मेरी मित्र जो कि उम्दा लेखिका होने के साथ एक उम्दा सोच की पैरोकार हैं उनके द्वारा लिखी गयी हैं. अभी तक उन्होंने अपना तख़ल्लुस नहीं ढूढ़ा है. तब तक उनका आग्रह है कि लैंगिक बाधाओं को तोड़ते हुए उन्हें “शेखर” कहा जाए।  उनके इसी आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत हैं मर्मस्पर्शी कविता Continue reading “नया पैबंद”

माँ की बातें

माँ ने बचपन में जो ककहरा सिखाया थावो अभी तक याद हैवहाँ से लेकर अब तकऔर कितना कुछ भूल गया,तब शायद बिना बहस कियेबिना ज्ञान के घमण्ड केबात मानी थी उनकी मैंने। मैं आज भी देर-सवेर मान ही लेता हूँ आपकी बातबस तब तक मेरा दिलछिल चुका होता है,मेरे मतभेद आपसे नहीं माँविचारों के होतेContinue reading “माँ की बातें”

बदल जाओ तुम भी

सब बदलता है दुनिया में तुमको भी पता हैअब जीना हो अगर तो बदल जाओ तुम भी सब उसूलों की आजमाइश होगी तुम पर हीप्यार करना हो अगर तो बदल जाओ तुम भी झुकते पेड़ों पे पत्थर पड़े हैं और पड़ेंगे हीहरे रहना है अगर तो बदल जाओ तुम भी ज़िन्दगी क्या है सहूलियत काContinue reading “बदल जाओ तुम भी”

ज़रूरी नहीं है

मैं अब चुप हूँ बस तेरे लिये ऐ जाँयादें हैं काफी ज़ुबाँ ज़रूरी नहीं है न वो बोलते हैं न हम बोलते हैंसमझना न ये कि बात होती नहीं है मेरे इश्क़ को तुम लापता क्या करोगेये दुनिया है दिल की ज़मीन की नहीं है और मुश्किल करो अब इम्तेहां ज़िन्दगी केमेरा सब खो चुकाContinue reading “ज़रूरी नहीं है”

वो आज याद आ रहे हैं

न मिले जिनसे हम न छुआ है कभी भीरूठे दिलबर मेरे वो आज याद आ रहे हैं न गिला है उन्हें है न शिकवा हमें भीदस्तूर ज़माने के हमको रुला रहे हैं मंज़िल मिले न मोहब्बत को कभी भीताउम्र उनकी पेशानी हम पढ़े जा रहे हैं बैठ जाता है दिल उनके आँसू गिरते कभी भीहथेलियोंContinue reading “वो आज याद आ रहे हैं”

आख़िर आप चाहते क्या हैं?

बहुत अहंकारी हैं आप!आपके सोचने से आपका प्रेमसबसे सच्चा नहीं हो जातादुःखी होने पर सिर्फ़ आपके हीआँसू नहीं बहते,प्रेम बस शब्दों और भावनाओं से नहींप्रैक्टिकैलिटी से चलता हैनहीं समझ पाये तो ये ग़लती है आपकी,क्योंकि अगर किसी को दुःख पहुंचाना हैतो दूर बैठे आपको ही क्यों नहीं?वैसे भी, जो गायज़्यादा मारती हैचौकड़ी भरती है रखाContinue reading “आख़िर आप चाहते क्या हैं?”

प्रेम-सूर्य

मेरे कमरे में धुंध भर गयी हैप्रेम-सूर्य कहाँ हो तुम?अब और न छिपो मुझसेमुझे कुछ दिखाई नहीं देता,मैं कब तक चलूँगा अंदाज़े सेइन पथरीली राहों पर अंधेरा चुभता है बहुतअब मेरे दिल को;दूर ही सही आकाश में आओ तोअपने नैनों की चमक दिखलाओ तो,तुम्हारी किरणों को छूकर मान लूँगातुम मेरे पास हो! इस ज़मीन परContinue reading “प्रेम-सूर्य”