साकी तू मेरे ज़ख्मों को ना आज भर सकातेरी शराब में आज वो पहला सा नशा नहीं हैज़िन्दगी में मेरी न पहले से कोई फर्क हैआज तेरी ही अदा में वो जवानी नही है। जाम हाथों से तूने आज भी है पिलायाजो ग़म को भुला दे वैसी आज उसमे रवानी नही हैदर्द से डूबा हैContinue reading “नहीं है!!”
Author Archives: smallcitythinker
ये बारिश
ये बारिश मुझे तेरी याद दिलाती हैइसकी ठंडक ना मेरी तन्हाई बुझा पाती हैसोचा था इस मौसम में सुकून मिल जाएगापर हालातों की बिजली बहुत डराती है। तनहा इस मौसम के नजारे देखता हूँरुसवा है जो किस्मत उसे ढूँढता हूँसामने ज़िन्दगी की नदी दिखती हैमिले तू जहाँ वो किनारा ढूँढता हूँ। शायद सोचो जैसा चीज़ोंContinue reading “ये बारिश”
बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क में!!
बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क मेंमैं फना हुआ तुझमे मेरी जानलाख कोशिश की अपनी हस्ती बनाने कीआख़िर में तुझमे हुआ फ़ना मेरी जान। हर ख्वाहिश में बस यही होता हैकि मेरी चाहत का तू इस्तेकबाल करेबातें परेशानी अपनी तू कहे मुझसेकुछ ऐसा तू मेरा इस्तेमाल करे। कोई ऐसी दवा काश देता खुदा मुझेहर दीवार मेंContinue reading “बंदिशें कारगर ना हुईं इश्क में!!”
तेरी गली!
तेरी गली मुझ पर शक कर रही हैआज मुझे देख सब से कहती हैतू कल भी यहाँ आया थापर मैं कब गया था मुझे पता नहींजो वहाँ था शायद मेरा साया था। ऐ मेरी जान तू बता तुझे क्या लगता हैक्या मैं सच में बता वहाँ आया थाअब अगर सच ही बोलना है तुझकोतो इकरारContinue reading “तेरी गली!”
तेरी हर बात मुझे याद आती है!!
तेरी हर बात मुझे याद आती हैज़िन्दगी होती मेरी शुरू जब दुनियासो जाती हैइस पागलपन का तुझे भी है इल्म सनमतभी तो तू हर रात मेरे ख़्वाबों में आती है। बेलिबास मेरी हर आरजू होती हैजब तू मेरी बाहों में होती हैतू भी बता कुछ अपना हाल-ए-जुस्तजूजब तू जानेमन मेरे साथ होती है। तेरी खामोशीContinue reading “तेरी हर बात मुझे याद आती है!!”
निकलो ना इस धूप में!!
निकलो न इस धूप मेंकुछ पीला पहन करकहीं सूरज ना छुप जाएबदली में तुझसे घबरा कर। तेरी रूप की शमा है जोनही है मामूली बड़ी ख़ास हैजल जाएगा वो हर कोईजो मुझे छोड़ तेरे पास है। ना मुस्कुराना तुम खुल केकहीं ये फिजा ना बहक जाएबुझ गए थे जो इरादे जवानकहीं ना फ़िर दहक जाएँ।Continue reading “निकलो ना इस धूप में!!”
कब तलक
कब तलक तेरे संग दो लम्हों को तर्सूंगा मैंन जाने कब मेरे आगे तेरे जज़्बात बेपर्दा होंगेपर ये उम्मीद है की वो शाम भी आएगीजब कोई महफ़िल ना हमारी मुलाकात- ऐ-गवाह होगी। ये तूने ही लिखा था मुझको जानमकी खुल के ना हुई गुफ्तगू अब तकपर ये समझ में ना आए मुझेकी अफ़सोस है येContinue reading “कब तलक”
क्या क्या भुलाओगे?
कितनी दूर मुझसे जाओगेकितनी कसमें तुम भुलाओगेहम तो बस डरते हैंक्या तुम सच में छोड़ जाओगे? कितने पलों को कहो भुलाओगेकितनी यादों को कहो मिटाओगेकितने एहसासों को छुपाओगेअब तक कुछ न बताया है तुमनेक्या औरों जैसे तुम भी रिश्ता निभाओगे?क्या तुम सच में मुझे छोड़ जाओगे? अशांत
तुम आईने के सामने बैठे हो!!
तुम आईने के सामने बैठे होबताओ न तुम्हे क्या दिखता है?तुम्हारा चेहरा, मेरा अक्स, हमारा वजूदबताओ न तुम्हे क्या दिखता है? तुम आईने के सामने बैठे होतुम्हारे हाँथ बाल बनाते हैंकाली घुंघराली जुल्फों के सिवा बताओ न तुम्हे क्या दिखता है?तुम आईने के सामने बैठे होअपने हुस्न पर इतराते होक्या असर है मेरे एहसास का?बताओContinue reading “तुम आईने के सामने बैठे हो!!”
काली घुंघराली जुल्फों से
काली घुंघराली जुल्फों सेहोठों का तिल छुपाओ नइतनी दूरी आज क्यूँ हैमेरे पास आओ ना। तेरी मदहोश आंखों कोआज तो पी लेने देकिसी साकी को आजमोहब्बत के बीच लाओ न। आज हर अदा बेपर्दा कर दोतकल्लुफ की चादर गिराओ नतेरी हया पर हयात कुर्बान हैदो दिलों के बीच इसे आज लाओ न। तेरी मासूमियत भीContinue reading “काली घुंघराली जुल्फों से”