मुख़ालफ़त हमसे करते इश्क़ तो मासूम थासज़ा ज़ुबाँ को देते दिल तो बेचारा मासूम था तुम्हारे तग़ाफ़ुल से मर गया जो जीते जीकह दो तुम ही वो शख़्स नहीं मासूम था भूल के सब दुनियादारी जिसने किया इज़हारलबों को बंद रखने वाला वो शख़्स मासूम था तुम बड़े बन गये सब से कह कर बड़ीContinue reading “मासूम”
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काला काँच
रात की काली चादर पर नाम तुम्हारा बनाना हैतुम्हारे दिल की दुनिया में छोटा सा घर बनाना है प्यार हमेशा था मुश्किल मज़हब एक बहाना हैकिसे महलों की दुनिया में घर मिट्टी का बनाना है कोनों पर रहते हैं जो पूँछ उनकी कुछ नहींबहुत कुर्बान हुये आशिक़ अब ज़ाहिद बनाना है जब बोसे की बातContinue reading “काला काँच”
हमको ज़रा बता दो
बरस सके जो तुम पर वो बादल कहाँ बता दोकहाँ भेजे तेरी तस्वीरें वो पता कहाँ बता दो वो छुअन तुम्हारे गालों की अटकी है दिल मेंजहाँ जाकर भूल जाये वो जगह ज़रा बता दो गा लेते जो तुमको मौसिक़ी वो मिली ही नहींकैसे गुनगुनाये तुमको तरीका कोई बता दो ख़ुशक़िस्मत हैं वो हबीब जोContinue reading “हमको ज़रा बता दो”
सुबह नये साल की
कशमकश भरी है सुबह इस नये साल कीज़िन्दा है सब यादें हर बीते हुये साल की इत्तेफ़ाक़न कोई सिक्का मिल जाये सड़क परहोती नहीं ताईद वो हयात-ए-मालामाल की शादाब हैं बस चार पत्तियाँ पौधे की तुम्हारीदे रहीं हैं गवाही मेरे हालात-ए-पामाल की कोई कुछ कर देता मुरव्वत तो जी लेते हमनहीं ख़्वाहिश हमें किसी नुमाइश-ए-मिसालContinue reading “सुबह नये साल की”
कहाँ तुम चले गए?
तुम चले जाओगे तब सोचेंगे,हमने क्या खोया हमने क्या पाया आज संगीत की विधा ने एक चमकता हुआ सितारा सदैव के लिए खो दिया. ग़ज़ल-ए-आज़म जगजीत सिंह के लिए आज की सुबह उनके जीवन की आखिरी सुबह साबित हुई. उन्होंने इस नश्वर जगत को तो अलविदा कह दिया किन्तु अपनी महानता के परिचायक ऐसे असंख्यContinue reading “कहाँ तुम चले गए?”