किताबें

कुछ किताबें पढ़ करकिसी को कुछ किताबें दी थींउनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैंमैंने कुछ और अर्थ निकाले उसने कुछ और;जीवन में सब परस्पर नहीं होता। वो किताबें अलमारी में नहीं हैंन ही सजी हैं कहीं करीने सेमेरे बताये अर्थकहीं बदल न जाये पढ़ने से,इसलियेसजा लिया है उसने उनकोबिना पढ़े हुये;वो न पढ़ी हुयीContinue reading “किताबें”

कुल्हाड़ी

किसी ने पेड़ गिराने कोउसके तने पर कुल्हाड़ी मारीअनगिनत बारिशोंअनगिनत आँधियोंअनगिनत दोपहरोंको झेल चुका था जोसहज ग्रहण कर लिया उसने वह प्रहार;विडंबना ये हैकुल्हाड़ी चिपक गयी हैबिछड़ी प्रेमिका सीदिख रही है तने पर रस की एक लक़ीरजो हर बीतते दिन के साथ परत दर परत मोटी होती जा रही है। पेड़ खड़ा हैपत्तियाँ हरी हैंपरContinue reading “कुल्हाड़ी”

एक प्रेमी की असमय मृत्यु

कुछ दिन ही बीते हैं, परतुम्हारे सारे गीततुम्हारे सब वचन तुम्हारी सारी भावनायेंतुम्हारा सारा प्रेम सब मर चुका है,जो मेरा होने का आभास था अब तकसत्य आवरण में हो चुका है किसी और का। क्यों आवश्यक होता हैकिसी के साथ वैसा अन्यायजैसा हुआ था आपके साथहर साथ वाला प्रेमी नहीं होता,क्यों आवश्यक होता हैसुविधा कीContinue reading “एक प्रेमी की असमय मृत्यु”

एक बार हँस दो ना

बहुत दिनों से दिल में उजाला नहीं हुआतुम आ कर भी कभी नहीं आयीबहुत दिन हुये तुम्हें सुना नहींकुछ और नहीं तो बस नाम ले लो मेराभींच लो गोरे हाथों में मेरी साँवली उंगलियाँसफेद तिल में जैसे मिल जाता है गुड़बहुत दिन से कुछ मीठा दोनों ने खाया नहींतुम्हारी गर्दन पर फूँक देनी है एकContinue reading “एक बार हँस दो ना”

प्रकाश की खोज

बुझ गयी है दीये की बातीडूब कर अपने ही घी के सागर मेंयह नहीं आवश्यकघी हर बाती को जला ही देगा,तुम्हारा होना ही मेरा होना थाऐसा सोचा था मैंनेपर जलने की जगहडूब गया मैं तुम में ही,अब शायद फिर कभी नहीं जलूगानदी का रहता क्या अस्तित्व मिल कर सागर सेनहीं उतरायेगे मेरे भाव तुम्हारी सतहContinue reading “प्रकाश की खोज”

राबता

तुम नहीं हो फ़ेहरिस्त में मेरे यारों कीयूँ ही नहीं मेरी पलकें आज भीगी हैं,कोई तो राबता रहा होगा तुमसेयूँ ही नहीं ज़मीं चाँद की भीगी है। कुछ कह ही दो आज तुम हमसेअर्से से कुछ मीठा नहीं सुना हमने,अब बिखर जाओ तुम मेरी ज़िंदगी मेंबरसों से कोई फूल नहीं चुना हमने। तुम चले जातेContinue reading “राबता”

कमी

कोई तो कमी रही होगी मुझ मेंनहीं यूँ ही नहीं तू चला गया होता यूँ तो सबके साथ तुम खड़े रहेकाश मेरे साथ कभी तू खड़ा होता ज़माने की रिवायत निभाते हो तुममेरी सुन लेते तो बुरा बोलो क्या होता चल रहा है कारोबार मेरा भी तेरा भीरुक जाते तुम तो मैं अकेला नहीं होताContinue reading “कमी”

मेरी विजयदशमी

हर रावण दशानन नहीं होताहर बाली शत्रु-शक्तिहन्ता नहीं होतामेरे राम, तुम तो दयानिधान होआज वध कर दो उस पाप काजो खा रहा है धीरे-धीरेमेरा प्रेममेरी आत्मामेरे जीवन को। हे राम! समाप्त कर दो हर भावजो पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकतामेरी गीली आंखों में काई जम गयी हैप्रार्थना में जीभ लटपटाने लगी हैअब पढ़ लो मेरेContinue reading “मेरी विजयदशमी”

प्रतिध्वनि

निज-जीवन की निराश्रय डोरमुझे आज कहाँ ले आयी हैमैं याचक था सरस प्रेम काये नीरसता आततायी है मन अधीर मुख गम्भीरये अंतरतम की परछाईं हैएक सुखद क्षण की अदम्य खोजये आज कहाँ ले आयी है माने नहीं जीवन के जो प्रतिमानवही विचलित क्यों कर जाते हैंनिज-चयन से नहीं चढ़े जो सोपानक्यों अब वही पश्चाताप करातेContinue reading “प्रतिध्वनि”

चैन

मेरे जज़्बों की जुम्बिश तुम्हारी धड़कन से हैजो तुम्हें चैन हो तो हमें भी कुछ चैन मिले मेरे अक्स की तामील तेरी हर तस्वीर से हैजो तुम दिखो तो हमें भी कुछ चैन मिले मेरी कसक का सबक तेरे रश्क़ से हैजो तुम हँसो तो हमें भी कुछ चैन मिले मेरा तुझसे राब्ता तेरे हरContinue reading “चैन”