दबे हुये बीज

हर एक मनुष्य किसान हैवो बोता है कई बीजइनकी आशा में-लहलहाती फ़सल,फल लदे पेड़,सुंदर फूलों के गुच्छे,और कुछ नहीं तोसुकून देने वाला हरापन। आशा असीमित नशा हैक्षितिज पर पहुँच कर भीसूरज नहीं मिलता,हर दबा हुआ बीज-लहलहाती फ़सल,फल लदा पेड़,सुंदर फूलों का गुच्छा या हरापन-कुछ भी नहीं बनता। कुछ लोग बीजों की तरहमर जाते हैं ज़मीनContinue reading “दबे हुये बीज”

गोली

गोली से हत्या हो सकती है प्रेम नहीं; प्रेम उत्सर्ग है अहं का प्रेम विलय है तुम में मैं का; प्रेम यात्रा है उस बिंदु की जिसका विस्तार है ये संसार; अंततः, प्रेम है उन्हीं बिंदुओं से मिल कर बनीं समानांतर सरल रेखायें जो बिना एक दूसरे को काटे सदैव साथ चलती हैं! – अशान्त 

माँ से शिकायत

मेरी माँओं से शिकायत है वो अपने बेटों को खाना बनाना नहीं सिखातीं वो अपने बेटों को कपड़ा सिलना नहीं सिखातीं; रोटी और कपड़ा जीवन के मूलभूत प्रश्न हैं जिनके उत्तर जीने के लिये पता होना आवश्यक है। उससे अधिक शिकायत है मुझे बेटों से जो इन प्रश्नों के उत्तर नहीं ढूंढ़ते या जान करContinue reading “माँ से शिकायत”

पॉलिटिकल प्रेम

शेखर के मन की बात उस दौर में जब सोचना ज़रूरी है। प्रेम की कोई परिभाषा तो होती नहीं , मन की एक सोच है, वही सोच साझा कर रहा हूँ….. अन्वरसिटी में जो मैं पिट जाऊँ,  तुम दनादन्न विडियो लाना,  फेसबुक पर डाल डाल,  नक्सल अर्बन तुम बन जाना,  मैं ग्राउंड वर्क सम्भालूंगी,  तुमContinue reading “पॉलिटिकल प्रेम”

हरा स्वेटर

एक उदास सी शाम में देखी तुम्हारी बेफ़िक्र हँसती तस्वीर जैसे किसी ने सर्द पैरों पर डाल दी रजाई, आँखों की आधी दूरी तक फैला काजल कुछ इधर कुछ उधर बिखरे खिचड़ी बाल लोधी गार्डन की ठंडी टूटी बेंच  यादों की अंगीठी सी सुलगा जाती है, बुने हुये स्वेटर में छूट जाते हैं कुछ फंदेContinue reading “हरा स्वेटर”