Amma

Death, it is said is the ultimate truth of life. The circle of life takes intervening closure with death. Despite being the most unbiased equaliser, death sometimes imparts immortality to certain souls. Jayalalithaa Jayaraman attained immortality with her death owing to her monumental presence in the Tamil psyche for more than five decades. Hugely popular as aContinue reading “Amma”

मैं स्वतन्त्र हूँ

जिस दिन,  बिना झूठ बोले बिना बात बनाये  बिना भेष बदले  बिना कुछ गलत कहे बिना कोई और बने  मैं सच बोल सकूँगा  मैं मानूँगा  कि, मैं स्वतन्त्र हूँ।    – प्रशान्त 

पहली धुंध

कुछ धुंधला था मेरा सपनाधुंधली थी मेरी सुबहअगर कुछ भी नहींतो, आँखें ज़रूर धुंधली थीं। सुबह सुबह तुम बैठी थीमेरी मेज़ परजैसे कोई अधखुली किताबबुकमार्क से लग रहे थेतुम्हारे चेहरे के तिलउन पन्नों की तरहजिन पर शिकन थीकई बार पढ़े जाने कीएक बार भी समझ न आने की। सुबह सुबह तुम बैठी थीकुछ यूँ मेरेContinue reading “पहली धुंध”

प्रदूषण

पार्टिकुलेट मैटर 2.5बढ़ गये हैंहवा की तरहमेरे जीवन में भी;शिथिल हो रहे हैं मेरे स्वप्नमेरे फेफड़ों जैसेकाश! रोक पाताइन्हें कोई मास्क। भावुक मनुष्य नहीं रोक पाताअपनी क़िस्मतयादों और आदत को;ये भी एक प्रदूषण ही हैजो ला देता है बिन चुभेखुली आंखों में आँसूबंद में निराशा। बचपन में,नानी के घरनहीं था कोई प्रदूषणऔर तब,ना आते थेContinue reading “प्रदूषण”

रावण

सोचता हूँ कि रावण बन जाऊं  क्योंकि, आज कल  सरल तरीके से  राम के मिलने की  संभावना कम है।  कुछ बुरा नहीं है  रावण बनना भी, वो ज्ञानी था  वो सफल था  वो समृद्ध था  वो समर्थ था; आज भी तो पूजते हैं  सब इन्हीं गुणों को, फिर क्या बुरा है  रावण बनने में? हाँ, मैं नहींContinue reading “रावण”

दर्द ना समझे जाने का

क्या कभी सोचा है  क्यों मुरझा जाता है  कोई ग़ुलाब  जैसे कभी खिला न हो  सुनो कभी सूखी गिरी पंखुड़ियों को  कहती हैं  उन्हें बदलते मौसम ने  कभी समझा नहीं।  क्या कभी सोचा है  क्यों मर जाती है  कोई प्रतिभा  जैसी कभी रही ही न हो सुनो कभी असफलताओं को  कहती हैं  उन्हें कुटिल व्यवस्था ने Continue reading “दर्द ना समझे जाने का”

प्रेम की मौत

जो कल चले गये साथ जीने कोदूसरी दुनिया मेंइस दुनिया की नज़र मेंकायर हैं,वाह रे दुनिया!बदल जाते हैं तुम्हारे नियमसावन के बादल की तरहजो गरजते तो हैं, परसब पर बराबर बरसते नहीं। किसे पता थाजो रेल की पटरी पकड़ी थी तुमनेनहीं जाती थी किसी स्टेशन कोवो तुम्हारे जीवन का आखिरी टर्मिनल था,वो आख़िरी निवालाजो मिलContinue reading “प्रेम की मौत”

कोई मेरी याद मिटा दो

मैं देख न पाऊँ खुद को भी सब मेरे निशान मिटा दोअब दर्द मेरा भी कुछ कम हो कोई मेरी याद मिटा दो ये चेहरे पे मेरी जो झूठी मुस्कानों का पहरा हैतोड़ दो इसको बेरहमी से कोई मेरे आँसू बहा दो कितना सोचेगा आशिक़ अपनी बर्बाद मोहब्बत कोमिट सकती हो दुनिया तो कोई इसको मिटा दोContinue reading “कोई मेरी याद मिटा दो”

मैं वहां पहुँच न जाऊँ!

बात कुछ भी करने की होतीतो कब का कर लिया होताकुछ न कुछ;बात थी अपना सपना पूरा करने कीजिसे नापा था मैंनेउस दोपहर लन्च ब्रेक मेंअपने क़दमों सेउस बंगले के पास जो मेरे कॉलेज के सामने था। पर तुम नहीं समझोगे!क्योंकि, मैंने किया है पापदेख कर वो सपनामध्यम वर्गीय आँखों सेऔर फिर चला नहींउस रास्ते परचलContinue reading “मैं वहां पहुँच न जाऊँ!”

तो अच्छा रहता

ज़िन्दगी तो यूँ भी गुज़र ही जातीहम थोड़ा मुस्कुरा पाते तो अच्छा रहता वफ़ा ज़फ़ा वस्ल हिज़्र तो होते ही रहतेहम तुम्हारे हो पाते तो अच्छा रहता जीते तुम मेरी तरह तो चोट लग ही जातीहम दर्द कम कर पाते तो अच्छा रहता तमन्ना जिसकी हो कहाँ है मिल पाताहम बस तुम्हें पा जाते तोContinue reading “तो अच्छा रहता”