दबे हुये बीज

हर एक मनुष्य किसान है
वो बोता है कई बीज
इनकी आशा में-
लहलहाती फ़सल,
फल लदे पेड़,
सुंदर फूलों के गुच्छे,
और कुछ नहीं तो
सुकून देने वाला हरापन।

आशा असीमित नशा है
क्षितिज पर पहुँच कर भी
सूरज नहीं मिलता,
हर दबा हुआ बीज-
लहलहाती फ़सल,
फल लदा पेड़,
सुंदर फूलों का गुच्छा या हरापन-
कुछ भी नहीं बनता।

कुछ लोग बीजों की तरह
मर जाते हैं ज़मीन के अन्दर।
अदालत में बिना-शक़ सज़ा हुयी
सुना है किसान नहीं
सज़ा मिली है
किसी क्लाइमेट चेंज को।

– अशान्त

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