आज,
न सूरज है
न हवा है
न रोशनी है
न सुख है
न दुःख है
न सफलता है
न असफलता है
न साँसें हैं
न मृत्यु है
न ही तुम हो;
आज सुबह खाली है-
जिसमें सब निरन्तर गिरा जा रहा है,
अब इच्छा है
कहीं तो ज़मीन मिले
थके हुये पैरों को
चोटिल आत्मा को।
– अशान्त
Small is beautiful
आज,
न सूरज है
न हवा है
न रोशनी है
न सुख है
न दुःख है
न सफलता है
न असफलता है
न साँसें हैं
न मृत्यु है
न ही तुम हो;
आज सुबह खाली है-
जिसमें सब निरन्तर गिरा जा रहा है,
अब इच्छा है
कहीं तो ज़मीन मिले
थके हुये पैरों को
चोटिल आत्मा को।
– अशान्त