कल रात ही तो सपने मेंकॉफ़ी पी थी तुमने मेरे साथपर मेरी इस ज़िन्दगी में,इस सुबह मेंकौन हो तुम?कहाँ हो तुम? मेरे उस पुराने से कप पररखे थे तुमने अपने गोरे हाँथतुम्हारी प्यारी पतली उंगलियाँजिनके निशाँ अभी तक है उस परकाँप रहीं थी रात की उस ठण्ड मेंसेंक रही थी जिन्हें तुम अपनी गर्म सांस परतुम्हारेContinue reading “कौन हो तुम?कहाँ हो तुम?”