अब तक अलसाया हुआ इलाहाबाद जैसे प्रयागराज बनते ही किसी नयी ऊर्जा से भर गया है। किसी चपल बालक की भाँति एक कदम में चार कदमों की छलाँग लगाते हुआ यह नगर आध्यात्म के महापर्व कुम्भ मेले के लिये तैयार है। अभूतपूर्व व्यवस्था के साथ इस बार का कुम्भ एक वृहद बदलाव का भी साक्षीContinue reading “मकर संक्रांति- आरम्भ कुम्भ 2019”
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नये पत्ते
सामने दालान में कई सालों से खड़े पुराने पीपल के पेड़ में फिर से नये पत्ते आ गये हैं। किसलय नये पत्तों को तो ही कहा जाता है। नयी सोच भी किसलय हो सकती है और नया जीवन भी किसलय हो सकता है। अंतर बस इतना है कि किसलय वार्षिक या किसी भी सामयिक अवधि मेंContinue reading “नये पत्ते”
सुलगता सपना और नीली बत्ती
लखनऊ शहर में क़रीब डेढ़ दशक पूर्व “राष्ट्रीय सहारा” नाम का समाचार पत्र अत्यंत लोकप्रिय था। वो समय था जब ‘सहारा’ अपने पूरे उफान पर था। तब उसे आज की तरह किसी भी आर्थिक सहारे की ज़रुरत नहीं थी। उसी अख़बार में नए जिलाधिकारी/डी एम की नियुक्ति की ख़बर जब भी छपती थी, एक नौContinue reading “सुलगता सपना और नीली बत्ती”
इश्क़ इलाहाबादी
बाज़ारों की इस दुनिया में जब डूबी दुनिया आधी है, जहाँ कहीं पर प्रेम कभी वादी तो कभी प्रतिवादी है, उत्तर में भारत के बसती अलग कुछ आबादी है, ज़रा गौर से पढना-समझना इसको, इश्क़ का ये ख़ालिस “ब्राण्ड इलाहाबादी” है -प्रशान्त पूरी दुनिया की तरह मेरे शहर में भी “प्यार वाला दिन”Continue reading “इश्क़ इलाहाबादी”
एक पीली छतरी
पीला उत्साह का रंग है। एक ऐसा रंग जो प्रकृति के प्रकाश-पुंज सूर्य का वृहद् प्रतिबिम्ब है। उसकी अगाध ऊर्जा का सर्वत्र विद्यमान चिन्ह है। कुछ ऐसी ही ऊर्जावान लगी उदय प्रकाश जी द्वारा लिखी गयी लम्बी कहानी “पीली छतरी वाली लड़की।” २१वीं सदी के समसामायिक साहित्य की सबसे सशक अभिव्यक्तियों में इस रचना को सदैव उच्च स्थान मिलेगा।Continue reading “एक पीली छतरी”