मुझको पता हैतुमने मुझे मुस्कुराते हुए देखा हैये बात और है किभीड़ के परदे में छुपकरतुमने खुद को छुपा लियापर रोक न पाई अपनी आँखों की चमकजो पार कर झिझक की दीवारमेरे मन का एक कोनारोशन कर गईदुपट्टा आज भी संभाला था तुमनेलेकिन खुद को संभालने के लिएना कि अपनी रोजाना की आदत की तरहउभरतेContinue reading “मुझको पता है”
Category Archives: अभिव्यक्ति
त्रासदी
पच्चीस साल पहले यहाँ एक दुर्घटना हुई थीकहते हैं कारखाने से निकली गैस नेहज़ारों का दम घोंटा था,हज़ारों आज भी मर रहे हैं घुट घुट करयाद में उनकी, जो बदनसीबी सेउस वक़्त भोपाल में थे;पर ये महज़ दुर्घटना नहीं थीएक सोचा समझा षड़यंत्र था,पूँजीवाद के राक्षस नेलोकतंत्र के दलालों से हाथ मिलाकरबेगुनाह, जिन्हें रोटी की आशा थीमौतContinue reading “त्रासदी”
सन्नाटा
मैं सन्नाटा चीरना चाहता हूँ चिल्लाता हूँ पूरे जोर से पर आवाज़ ना जाने कहाँ खो जाती है रह जाता है पसरा हुआ बस चारों ओर सन्नाटा पर यहाँ सब लोग तो हैं हर दिशा में फैला हुआ शोर बताता है कि लोग जिंदा हैं पर मुझे होता आभासित कर्कश ध्वनि समूहों में लिपटा हुआContinue reading “सन्नाटा”
पल भर में
पल भर में कभी कुछ दिनों के फासले मेंकोई ख़ास बन जाता हैकल तक जो दबा सा था हसरत मेंवही रूमानी एहसास बन जाता हैलिख लिख कर जिनकी याद मेंमेरी कलम की स्याही सूख गईजिनके जाने से मेरी बंधी हुईसारी उम्मीदें टूट गईंवो अपना ही जब अनजानासरेआम हुआ जाता हैतो किस अदालत मेंरखूँ मैं अपनीContinue reading “पल भर में”
पतंग
कोरा कागज़ जब हाथ से छूटता है तो हवा में असंख्य करतब दिखाने के पश्चात अंत में धरती से आ मिलता है. एक ऐसा मिलन जिसका पुनर्ज्ञान शायद उसे उसी क्षण होता है जब वो किसी सहारे से अलग होता है. वही कागज़ जब आकार पाता है, उसे किसी डोर से जोड़ा जाता है जिसकाContinue reading “पतंग”
रिश्ते
क्या ज़रूरी है कि हर रिश्ते का इकरार होये ज़रूरी नहीं हर इकरार का इनकार होइतने नाम सुने हमने इस जहान मेंक्या ज़रूरी है हर रिश्ते का कोई नाम हो एक मुलाकात रिश्ते बना जाती हैइबारत कोई नयी लिख जाती हैमीठा सा लगता है सब कुछ हद तकहलकी सी खटक सब खट्टा कर जाती हैContinue reading “रिश्ते”
Junior Ji Anthem
JUNIOR JI ANTHEM This anthem is to acknowledge every moment which I along with all my friends have shared with dear Shubham. I relished them and will cherish them forever. My attempt to write this anthem is genuine and in no way intends to mock or offend Shubham whom we all revere as Junior Ji. This anthem has been writtenContinue reading “Junior Ji Anthem”
असल ताकत आदमी के इरादों में होती है
ना भीड़ से ना लुभावने लफ्जों सेना तक़रीरों से ना दबे जज्बों सेदौलत की शोहरत की उम्र भी थोडी होती हैअसल ताकत आदमी के इरादों में होती है। बैठना चार पायों पर है फकत आसानइल्मों का पुलिंदा आदमी है बड़ा नादानकमी खुदा में नही मगर बन्दों में होती हैअसल ताकत आदमी के इरादों में होतीContinue reading “असल ताकत आदमी के इरादों में होती है”
तुम तन्हा
तुम तन्हा कहाँ छोड़ गए बस इतनी सी बात पर मुंह मोड़ गएकल ही तो किया था तुमने इकरार और आज ही अपना इरादा भूल गए।ग़म है मुझे इसमे कोई शक नहींइस अंदाज़ से तुम दिल तोड़ गएनाज़ुक सी सिसकी की जगहबेवफाई के झटके से झंक्झोड़ गए।इश्क बराबरी तो नहीं चाहती रसूखों कीतुम तो चाहतContinue reading “तुम तन्हा”
इतना आज वक्त नहीं
दूसरों के लिए सोचें ज़रा इतना आज वक्त नहीं दिल से रो और हँस सके इतना आज वक्त नहीं दूसरों को दिखाने से फुर्सत कहाँ कुछ सच्चा सोचने का वक्त नहीं जिस्म के आगे बढ़ सकें हम इतना आज वक्त नहीं आँसू बहता है तो बहने दें रूमाल देने का आज वक्त नहीं दोस्ती जरियाContinue reading “इतना आज वक्त नहीं”