फ़िर आयेंगे

मर तो जायें हम उनके जाने से पर,कह गये हैं वो कि हम फिर आयेंगे। जा चुके थे जो बादल बारिशों के बाद,साथ उनके सर्दियों में वो फ़िर आयेंगे। किताबों में जो किस्से लिखे न गये,ढलती उम्रों में वापिस वो फ़िर आयेंगे। मेरे साथी जो मेरे शहर से गये,किसी शाम मिलने वो फ़िर आयेंगे। मैंContinue reading “फ़िर आयेंगे”

वो तो मेरा माज़ी था

हाँ ये सच है कि उस वक़्त मैं राज़ी थापर जो बीत गया,वो तो मेरा माज़ी था फ़ीके ही सही मेरी क़लम के अशआर हैं येजो छूट गया गहरा स्याही में,वो तो मेरा माज़ी था तसव्वुर में मेरे आज अक्सों की है दौलतसच्ची थी तस्वीरें जो,वो तो मेरा माज़ी था हिज्र की ठंडी आहें जमाContinue reading “वो तो मेरा माज़ी था”

मेरी बाहों में

यूँ कुनमुनाओ मेरी बाहों मेंये रात गुनगुनी हो जाये झटक दो बालों से बरसातकुछ गुदगुदी हो जाये कोई सुन न ले किस्सा मेराकानों में बुदबुदी हो जाये बंद कर लो तुम अपनी आँखेंथोड़ा लुकाछुपी हो जाये बना लो मेरे हाथ को तकियाथोड़ी झुनझुनी हो जाये थाम लो मेरे जज़्बातों को पहलेमेरी हर बात न अनसुनीContinue reading “मेरी बाहों में”

सच्ची कोशिशों का ईनाम ख़ुदा ज़रूर देता है

सिजदे में झुके सर रोज़े की नमाजों में मालिक देता है रहमत इंसानियत के जहाजो में मेरे जज़्बे पर मेरे मालिक की नज़र है मेरे झुके सिर को वो एहतेराम देता है मैं अधूरा हूँ उसके मुकम्मल जहान में फिर भी शुक्रिया उसे सुबह-शाम देता हूँ तड़प के मर जाता है कोई जब बंद दरवाज़ेContinue reading “सच्ची कोशिशों का ईनाम ख़ुदा ज़रूर देता है”

फिर भी, प्रेमी न थे!

मिल सको तो मिलोजैसे पहली बार मिले थे तुमथोड़े से मासूमथोड़े से नाज़ुकथोड़े से अल्हड़थोड़े से ‘तुम’ सब सुन्दर था तबउस बड़े घर की तरहजिसके अंदर कोई गया नहींहर कोना नया थाअनछुआ सा, सब ढका थाधूल से बचाने वाले कपड़ों से सुन्दर थे तुम? पता नहीं!कैसे थे तुम? पता नहीं!बस इतना पता हैकुछ अलग थाContinue reading “फिर भी, प्रेमी न थे!”

बुरा हूँ बहुत

बुरा हूँ बहुत बुरा पर न चाहा कभीलफ्ज़ बोले नहीं पर कतरा समाया सभीइसी आस में हमने बहाये न आँसूसाथ गंगा के बह न जाये जज़्बे सभी बात निकली थी जो दिल से कभीदेखी कुछ थीं या पढ़ी थीं सभी?इसी आस में हमने कुछ न कहापहुँचेगी तुम तक यूँ ही कभी सामने थे तुम जबContinue reading “बुरा हूँ बहुत”

सुलगता सपना और नीली बत्ती

लखनऊ शहर में क़रीब डेढ़ दशक पूर्व “राष्ट्रीय सहारा” नाम का समाचार पत्र अत्यंत लोकप्रिय था। वो समय था जब ‘सहारा’ अपने पूरे उफान पर था। तब उसे आज की तरह किसी भी आर्थिक सहारे की ज़रुरत नहीं थी। उसी अख़बार में नए जिलाधिकारी/डी एम की नियुक्ति की ख़बर जब भी छपती थी, एक नौContinue reading “सुलगता सपना और नीली बत्ती”

Nudity is Beautiful

Picture courtesy- http://scd.france24.com/en/files/imagecache/france24_ct_api_bigger_169/article/image/06062015%20kapoor%20vagina.jpg Nudity is aesthetic if one has an eye for it. Curiosity towards the exploration of nudity has regularly inspired many great acts that this world has ever seen. Latest furore in Paris over installation of Anish Kapoor’s sculpture “Queen’s Vagina” (placed in the grounds of the Palace of Versailles) has exposed theContinue reading “Nudity is Beautiful”

कुछ पता नहीं

माँ वाली शर्ट की उधड़ी सिलनजब सिली थी तुमने पहली बारना समझ आया थातुम पास आयी थी यामाँ हुयी थी दूरमैंने आज फिर वही शर्ट पहनी हैमाँ आज भी नाराज़ हैतुम्हारा कुछ पता नहीं! पलाश का वो फूलजो उठा लायी थी तुमअपने कमरे के सामने सेसिकुड़ गया था तुम्हारे हाथ मेंजो लुगदी की तरहबचे हुयेContinue reading “कुछ पता नहीं”

Whether Law is a Science?

Casual and informal conversations are sometimes the genesis of some very significant issues. These are issues which exist around us but are elusive of intellectual intervention in normal course of events. The title of this write up, which is about to follow is result of this inadvertent exercise only. It is a general presumption inContinue reading “Whether Law is a Science?”