Pain of Love

When new memories are writtenSelf-esteem gets bittenEyes remain never dryScream inside but cannot cryAll sacrifices go in vainNothing can reduce the painThis is not for what man is meantSuffering from irreparable dentGo back in time make me staidMake me emotionless make me jadeFor all that I did I never thoughtI will be killed by painContinue reading “Pain of Love”

ब्यूटी स्लीप

ब्यूटी स्लीप- पहली बार यह शब्द तुम से सुना थामन में आया था बस यह विचारजो सहज ही सुंदर हैउसे क्या आवश्यकता आडम्बर कीशायद इसीलिये नहीं अच्छा लगा कभीमुझे तुम पर मेकअप;यह पितृसत्ता नहींतुम्हारे प्रति मेरी श्रद्धा है। आज तुम सज रही होगीसबको सुंदर दिखने कोतुम मेरी नहीं थी कभी,परउसका आभास आज हुआ हैकुछ कृत्रिमContinue reading “ब्यूटी स्लीप”

बात

नहीं बीतती अब ये लम्बी रातनैना मुझसे कर लो कुछ बात जब आ जाऊँ मैं संग तुम्हारे साथथिरकाओ चाँद के आगे अपना हाथगोरी उंगलियाँ चले मेरे गालों परमेरा सिर हो तुम्हारी ज़ानों पर मैं गीत लिखूँ तेरे होठों परतुम गाओ उसको मेरे साथसब सुर मेरे छिपे तुम परतुम छिप जाओ मेरे साथ तुम छू लोContinue reading “बात”

आत्मप्रवंचना

पिछले साल कहा था तुमनेतुम मुझसे मिलने आओगीउस नगर जो मेरा नहीं थावहाँ से चलना था हमकोजहाँ दोनों नहीं गये थे कभीतुम बिना बताये चुप हो गयेमैं कर रहा प्रतीक्षा आज भी तुम्हारे आने की। उन मनोरम स्थलों पर जहाँ तुमने नहीं जाना चाहा मेरे साथजब भी देखता हूँ तुम्हारे चित्रसत्य है मुझे नहीं होताContinue reading “आत्मप्रवंचना”

एकपक्षीय निर्णय

किसी पेड़ के तने की तरहतुम मेरे जीवन की स्थायी आशा नहीं थेतुम फूल थेतुम्हें मुरझाना ही था,जिसे तुमने प्रेम समझावो अभिव्यक्ति थी आत्म-ग्लानि कीमेरे पूर्ण जीवन में तुम्हारा सिसकता चेहरामुझे अच्छा नहीं लगतामैं क्या करती उसके सिवाजो मैंने कियाएक अच्छे लिबास से हटानी पड़ती हैअनचाही कतरन। तुम एक रोमांच थेचाहिये होता है स्थायित्व जिसकेContinue reading “एकपक्षीय निर्णय”

कान्हा नैश्नल पार्क

मुझे याद है कान्हा नैश्नल पार्क की वो सुबहजहाँ पहुँची थी मैं एक झुंड के साथसुना था वहाँ रहते हैं बाघ और सियारहम सब में रहता है बाघ और सियार,मेरे लिये भी सब नया थाकिसी ने मुझे हाल में “फौक्सी” कहा थासच कहूँ तो मुझे तुम याद भी नहीं थेगलती तुम्हारी है तुमने मुझे कभीContinue reading “कान्हा नैश्नल पार्क”

पिछले दिसम्बर

पिछले दिसम्बर इसी ठंड मेंमैंने तुमको भीड़ में देखा था,मुझे पता था कि उन सैकड़ों लोगों मेंतुम सिर्फ़ मुझे देख रहे होसभी सजावट तुम्हारे प्रेम का विस्तार थीजो कि सिर्फ मुझे दिखाई दे रहा था;इस दिसम्बर सब फिर वैसा हैफिर सजावट हैपर तुम्हारे प्रेम का विस्तार नहींसब संकुचित हैमेरी पीठ पर अनलिखे शब्द पढ़ने कोतुमContinue reading “पिछले दिसम्बर”

अंतिम शब्द

कुछ शब्दकुछ किताबेंकुछ बातेंकुछ आवाज़ेंकुछ शिकायतेंकुछ नख़रेकुछ इशारे कुछ सहारेकुछ किनारेकुछ मुस्कानेंकुछ आँसूकुछ तुम कुछ हम-सब पीछे छूट गये हैंइस जन्म में इनका अर्थ नहीं निकलेगामुझे मिलेगा मोक्षतुम बिन जीने के बादमैं फिर कभी नहीं आऊँगा;अगर मेरी बातें असर करेंगी अगले जन्मतो हो सके तो मेरे प्रेम को अपनाना तुममैं नहीं भी रहूँमेरी असफलता कोContinue reading “अंतिम शब्द”

संगीत

जब तक तुम थे प्रेम संगीत था,तुम्हारे जाने के बादसुर हैंस्वर हैंताल है, परसंगीत नहीं है;कहीं दब गया है भीतर प्रेम भी-सब बहुत प्रैक्टिकल है। सुना है तुम अब दूसरे कमरे में रहते होवहाँ और लोग हैं तुम्हारे साथक्या बचा है वहाँ मेरा स्पर्श?क्या बचा है वहाँ मेरा अस्तित्व?रस्में बहुत मजबूत होती हैंतुम्हारा बदला रूपContinue reading “संगीत”

किताबें

कुछ किताबें पढ़ करकिसी को कुछ किताबें दी थींउनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैंमैंने कुछ और अर्थ निकाले उसने कुछ और;जीवन में सब परस्पर नहीं होता। वो किताबें अलमारी में नहीं हैंन ही सजी हैं कहीं करीने सेमेरे बताये अर्थकहीं बदल न जाये पढ़ने से,इसलियेसजा लिया है उसने उनकोबिना पढ़े हुये;वो न पढ़ी हुयीContinue reading “किताबें”