अनजान शहर

उस अनजान शहर कीअनजान गली मेंबीच के एक घर मेंजो न मेरा था न उसकाबंद था सब,सिवाय उस खिड़की केजिस से छन करधीमी होती सूरज की किरणउसके चेहरे पर पड़ करफिर से ज़िंदा हो जाती थी ,उस मुलाकात की तरहजिसे होना बहुत पहले थापर हुयी आज थी। वो दे देती थी भ्रमजीवन काउस भावना कोजोContinue reading “अनजान शहर”

आठ गुना आठ

आठ गुना आठ का कमरा,कोने में रखी मेज़जिस पर फैली हैसालों की मेहनतजिसका न तो कोई रंग हैन कोई आकारऔर न ही कोई अस्तित्व;बेतरतीब सी चिढ़ाती हैउसके अस्तित्व को जोबिस्तर पर पड़ा हुआ पन्नों और सपनों मेंझूल रहा है। आख़िर क्यों है इतना कठिनउस खुले दरवाज़े से भाग जानान जाने किसने रस्सी सेकिस पाये सेउसकेContinue reading “आठ गुना आठ”

काला काँच

रात की काली चादर पर नाम तुम्हारा बनाना हैतुम्हारे दिल की दुनिया में छोटा सा घर बनाना है प्यार हमेशा था मुश्किल मज़हब एक बहाना हैकिसे महलों की दुनिया में घर मिट्टी का बनाना है  कोनों पर रहते हैं जो पूँछ उनकी कुछ नहींबहुत कुर्बान हुये आशिक़ अब ज़ाहिद बनाना है जब बोसे की बातContinue reading “काला काँच”

प्रश्न

जीवन श्रृंखला है प्रश्नों कीजिनके उत्तर पता नहींखोज नहीं थी उनकी जब तकतब तक सब सही था-सरल,सपाट,प्रत्याशित! फिर एक क्षण उभरा एक प्रश्नपुस्तक के अंतिम पृष्ठों परढूँढे मैंने उत्तर, हताश!सारे पृष्ठ सादे थेसब स्वप्न भी आधे-आधे थे। फिर मैं चींटी बन करचल पड़ा सीधी लकीरों परएक के पीछे एक निर्बाधित;कि किसी ने आटा डालकरभटका दियाContinue reading “प्रश्न”

I matter no more

The lines on your bodyWere written by my touch,When you will grow oldThe wrinkles on your cheekWill be relic of early morn caress Which I could only do once. Oh dear! You chose to leave meLike the winter SunLittle warm little unsatisfiedThe sultry glint of your eyesStill exists as embers in my heartI wish IContinue reading “I matter no more”

प्रशस्त-प्रेम

प्रिय मित्र ऋचा और अंकित की विवाह की चौथी वर्षगाँठ के अवसर पर एक छोटा सा प्रयास- कुछ यूँ सुंदर है प्यार तुम्हारा जैसेबोगनवेलिया के रंग-बिरंगे फूलकुछ यूँ पनपा है प्यार तुम्हारा जैसेछोटी छत पर गमले में फूल, है रंग-महक का ऐसा मेलादोनों के आते सब सुंदर हो जाता हैहै निश्छल ऐसी अभिव्यक्तिबिन कहे समझContinue reading “प्रशस्त-प्रेम”

ये साथ-साथ

ये साथ-साथ की कसमें  ये साथ-साथ की रस्में  ये साथ-साथ की बातें  ये साथ-साथ की रातें  ये साथ-साथ का रासें   ये साथ-साथ की सांसें  ये साथ-साथ की आँहें  ये साथ-साथ की बाँहें  ये साथ-साथ की पूजा ये साथ-साथ कोई दूजा  ये साथ-साथ का सच  ये साथ-साथ का झूठ  ये साथ-साथ का मर्म  ये साथ-साथ कीContinue reading “ये साथ-साथ”

हमको ज़रा बता दो

बरस सके जो तुम पर वो बादल कहाँ बता दोकहाँ भेजे तेरी तस्वीरें वो पता कहाँ बता दो वो छुअन तुम्हारे गालों की अटकी है दिल मेंजहाँ जाकर भूल जाये वो जगह ज़रा बता दो गा लेते जो तुमको मौसिक़ी वो मिली ही नहींकैसे गुनगुनाये तुमको तरीका कोई बता दो ख़ुशक़िस्मत हैं वो हबीब जोContinue reading “हमको ज़रा बता दो”

My Button Works!!

http://www.thehindu.com/news/international/why-twitter-did-not-block-trump-after-nuclear-button-threat/article22365347.ece The most powerful Uncle Sam shook the world with the unabashed display of the “much bigger and more powerful” nuclear button on his desk. And yes, it works!! The reference is to the new year tweet of the POTUS to the dictator-ruler of North Korea Kim. It looked like an Allahabadi gully cricket slugfest betweenContinue reading “My Button Works!!”

सुनैना

मुक्काबाज़ में सुनैना को देखने समझने के बाद ये कुछ अपरिपक्व विचार आये जिनके आधार पर कोई व्यकितगत मूल्यांकन करना अनुचित होगा। एक भावनात्मक हृदय की अभिव्यक्ति को वास्तविकता और यथार्थ की कसौटी पर परखे बिना इसे पढ़ें…. क्योंकि भावनाओं का वास्तविकता के साथ कोई संबंध नहीं है। किसी भी प्रकार की समानता महज एकContinue reading “सुनैना”