बूढ़ी गायें
सब तरह से थक कर
सड़कों पर डिवाइडर सी खड़ी हो जाती हैं।
परसों मेरी एक से आँखें मिली
ये पूछा उसने-
क्या तुम्हें भी किसी ने छोड़ दिया?
कोई उत्तर नहीं था मेरे पास
बस कुछ दूर आगे जा कर-
गालों पर पानी सा जम आया।
व्यक्ति चला जाता है
प्रेम नहीं जाता;बाँट देती हैं जीवन
स्मृतियाँ सड़कों पर डिवाइडर की तरह।
यौवन अगर जाना ही है और
बुढ़ापा ही है जीवन का सत्य,तो
मुझे तुमको देखना है उस बूढ़ी गाय की तरह।
– अशान्त