शायद मैने सुबह देखा था उसे,
इसीलिये मुझे लगा वो
बिना दाग़ वाला चाँद
रोज़ सूरज छुपा देता था उसे,
आज डाँक कर दूसरी छत से देखा
तो पाया ना उसमें कोई दाग़
नहीं कोई परेशानी मुझे दाग़ से,
टी.वी. वाले ऐड की तरह
इसके भी दाग अच्छे हैं
बस रात के कमज़ोर लम्हों में,
कभी-कभी हो जाता हूँ परेशान
ये कहीं मेरे लगाये हुए तो नहीं!
उसकी नज़दीकी ने जाने कैसे भुलवा दिया,
चाँद सभी का होता है
और किसी का भी नहीं होता
सफ़ेद था इसीलिये चाँद प्यारा था,
आज के रंगीन दाग़ों वाले चाँदों में
कैसे ढूढूं अपना बिना दाग़ वाला चाँद?
-प्रशान्त