किसी पेड़ के तने की तरहतुम मेरे जीवन की स्थायी आशा नहीं थेतुम फूल थेतुम्हें मुरझाना ही था,जिसे तुमने प्रेम समझावो अभिव्यक्ति थी आत्म-ग्लानि कीमेरे पूर्ण जीवन में तुम्हारा सिसकता चेहरामुझे अच्छा नहीं लगतामैं क्या करती उसके सिवाजो मैंने कियाएक अच्छे लिबास से हटानी पड़ती हैअनचाही कतरन। तुम एक रोमांच थेचाहिये होता है स्थायित्व जिसकेContinue reading “एकपक्षीय निर्णय”
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कान्हा नैश्नल पार्क
मुझे याद है कान्हा नैश्नल पार्क की वो सुबहजहाँ पहुँची थी मैं एक झुंड के साथसुना था वहाँ रहते हैं बाघ और सियारहम सब में रहता है बाघ और सियार,मेरे लिये भी सब नया थाकिसी ने मुझे हाल में “फौक्सी” कहा थासच कहूँ तो मुझे तुम याद भी नहीं थेगलती तुम्हारी है तुमने मुझे कभीContinue reading “कान्हा नैश्नल पार्क”
पिछले दिसम्बर
पिछले दिसम्बर इसी ठंड मेंमैंने तुमको भीड़ में देखा था,मुझे पता था कि उन सैकड़ों लोगों मेंतुम सिर्फ़ मुझे देख रहे होसभी सजावट तुम्हारे प्रेम का विस्तार थीजो कि सिर्फ मुझे दिखाई दे रहा था;इस दिसम्बर सब फिर वैसा हैफिर सजावट हैपर तुम्हारे प्रेम का विस्तार नहींसब संकुचित हैमेरी पीठ पर अनलिखे शब्द पढ़ने कोतुमContinue reading “पिछले दिसम्बर”
अंतिम शब्द
कुछ शब्दकुछ किताबेंकुछ बातेंकुछ आवाज़ेंकुछ शिकायतेंकुछ नख़रेकुछ इशारे कुछ सहारेकुछ किनारेकुछ मुस्कानेंकुछ आँसूकुछ तुम कुछ हम-सब पीछे छूट गये हैंइस जन्म में इनका अर्थ नहीं निकलेगामुझे मिलेगा मोक्षतुम बिन जीने के बादमैं फिर कभी नहीं आऊँगा;अगर मेरी बातें असर करेंगी अगले जन्मतो हो सके तो मेरे प्रेम को अपनाना तुममैं नहीं भी रहूँमेरी असफलता कोContinue reading “अंतिम शब्द”
संगीत
जब तक तुम थे प्रेम संगीत था,तुम्हारे जाने के बादसुर हैंस्वर हैंताल है, परसंगीत नहीं है;कहीं दब गया है भीतर प्रेम भी-सब बहुत प्रैक्टिकल है। सुना है तुम अब दूसरे कमरे में रहते होवहाँ और लोग हैं तुम्हारे साथक्या बचा है वहाँ मेरा स्पर्श?क्या बचा है वहाँ मेरा अस्तित्व?रस्में बहुत मजबूत होती हैंतुम्हारा बदला रूपContinue reading “संगीत”
किताबें
कुछ किताबें पढ़ करकिसी को कुछ किताबें दी थींउनके कुछ ही पन्ने पलटे गये हैंमैंने कुछ और अर्थ निकाले उसने कुछ और;जीवन में सब परस्पर नहीं होता। वो किताबें अलमारी में नहीं हैंन ही सजी हैं कहीं करीने सेमेरे बताये अर्थकहीं बदल न जाये पढ़ने से,इसलियेसजा लिया है उसने उनकोबिना पढ़े हुये;वो न पढ़ी हुयीContinue reading “किताबें”
कुल्हाड़ी
किसी ने पेड़ गिराने कोउसके तने पर कुल्हाड़ी मारीअनगिनत बारिशोंअनगिनत आँधियोंअनगिनत दोपहरोंको झेल चुका था जोसहज ग्रहण कर लिया उसने वह प्रहार;विडंबना ये हैकुल्हाड़ी चिपक गयी हैबिछड़ी प्रेमिका सीदिख रही है तने पर रस की एक लक़ीरजो हर बीतते दिन के साथ परत दर परत मोटी होती जा रही है। पेड़ खड़ा हैपत्तियाँ हरी हैंपरContinue reading “कुल्हाड़ी”
एक प्रेमी की असमय मृत्यु
कुछ दिन ही बीते हैं, परतुम्हारे सारे गीततुम्हारे सब वचन तुम्हारी सारी भावनायेंतुम्हारा सारा प्रेम सब मर चुका है,जो मेरा होने का आभास था अब तकसत्य आवरण में हो चुका है किसी और का। क्यों आवश्यक होता हैकिसी के साथ वैसा अन्यायजैसा हुआ था आपके साथहर साथ वाला प्रेमी नहीं होता,क्यों आवश्यक होता हैसुविधा कीContinue reading “एक प्रेमी की असमय मृत्यु”
एक बार हँस दो ना
बहुत दिनों से दिल में उजाला नहीं हुआतुम आ कर भी कभी नहीं आयीबहुत दिन हुये तुम्हें सुना नहींकुछ और नहीं तो बस नाम ले लो मेराभींच लो गोरे हाथों में मेरी साँवली उंगलियाँसफेद तिल में जैसे मिल जाता है गुड़बहुत दिन से कुछ मीठा दोनों ने खाया नहींतुम्हारी गर्दन पर फूँक देनी है एकContinue reading “एक बार हँस दो ना”
प्रकाश की खोज
बुझ गयी है दीये की बातीडूब कर अपने ही घी के सागर मेंयह नहीं आवश्यकघी हर बाती को जला ही देगा,तुम्हारा होना ही मेरा होना थाऐसा सोचा था मैंनेपर जलने की जगहडूब गया मैं तुम में ही,अब शायद फिर कभी नहीं जलूगानदी का रहता क्या अस्तित्व मिल कर सागर सेनहीं उतरायेगे मेरे भाव तुम्हारी सतहContinue reading “प्रकाश की खोज”