जो कल चले गये साथ जीने कोदूसरी दुनिया मेंइस दुनिया की नज़र मेंकायर हैं,वाह रे दुनिया!बदल जाते हैं तुम्हारे नियमसावन के बादल की तरहजो गरजते तो हैं, परसब पर बराबर बरसते नहीं। किसे पता थाजो रेल की पटरी पकड़ी थी तुमनेनहीं जाती थी किसी स्टेशन कोवो तुम्हारे जीवन का आखिरी टर्मिनल था,वो आख़िरी निवालाजो मिलContinue reading “प्रेम की मौत”
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कोई मेरी याद मिटा दो
मैं देख न पाऊँ खुद को भी सब मेरे निशान मिटा दोअब दर्द मेरा भी कुछ कम हो कोई मेरी याद मिटा दो ये चेहरे पे मेरी जो झूठी मुस्कानों का पहरा हैतोड़ दो इसको बेरहमी से कोई मेरे आँसू बहा दो कितना सोचेगा आशिक़ अपनी बर्बाद मोहब्बत कोमिट सकती हो दुनिया तो कोई इसको मिटा दोContinue reading “कोई मेरी याद मिटा दो”
मैं वहां पहुँच न जाऊँ!
बात कुछ भी करने की होतीतो कब का कर लिया होताकुछ न कुछ;बात थी अपना सपना पूरा करने कीजिसे नापा था मैंनेउस दोपहर लन्च ब्रेक मेंअपने क़दमों सेउस बंगले के पास जो मेरे कॉलेज के सामने था। पर तुम नहीं समझोगे!क्योंकि, मैंने किया है पापदेख कर वो सपनामध्यम वर्गीय आँखों सेऔर फिर चला नहींउस रास्ते परचलContinue reading “मैं वहां पहुँच न जाऊँ!”
बिल्ली
जब भी कोई मनुष्यरखता है ऊंचा लक्ष्यचलता है ऐसे पथ परजिस पर भीड़ नहींऐसे में,असफल होते हीउसकी आत्मा बिल्ली हो जाती हैऔर,टूट पड़ती हैं उस परसमाज की अपेक्षाएं और तानेकुत्तों की तरह;कर देते हैं क्षत-विक्षतइस सीमा तककि,उसका कुछ भी नहीं रह जातान वो लोग जिसे वो समझता था अपनान वो खुद! आईने में बनी उदास तस्वीरउसकी नहींजोContinue reading “बिल्ली”
कटते रहोगे तुम
जब अपने ही बदल जायें तो क्या कर लोगे तुमचलने लगेगी जब ज़मीन कितना ठहर लोगे तुम रिश्ते, इश्क़,दोस्ती, सब जज़्बा-ए-दिल हैंदिल ही बदल जायें तो क्या कर लोगे तुम कम थे ग़म क्या पहले से ज़िन्दगी में तुम्हारीऔर ज़्यादा ग़म से क्या ख़ुदा बन लोगे तुम क्यों खोलते हो दिल को बोलते हो रूह सेअकेले इस जहाँ कोContinue reading “कटते रहोगे तुम”
असमय मृत्यु
मेरा जो कुछ भी मुझ में थाहो गयी उसकीआज असमय मृत्यु। ये उसी दिन तय हो गया थाजब पहली बार मैंनेकुछ अलग करने को सोचा था। मेरे सपने बन गये लावारिस लाशजो गंगा में बह करकिसी बाँध की जाली में फंस जाती है। कितना लड़ेगा कोई और आखिर कब तककिस्मत कहीं दिख जातीतो सपनों कीContinue reading “असमय मृत्यु”
पैरों के निशान
पड़ते नहीं अब कहीं मेरे पैरों के निशानमेरी रूह मुझसे कब की जुदा हो चुकी है जो जलती थी मुझ में मैं चलता था जिस सेवो हसरत भी मुझसे विदा हो चुकी है न दिखता है कोई अब मुझे ज़िन्दगी साआँख कब की मेरी पत्थर हो चुकी है न आँखों में आँसू न गले मेंContinue reading “पैरों के निशान”
क्यों इतने दूर हो मुझसे
क्यों इतने दूर हो मुझसेमेरे स्वप्नकि, तुम तककोई सीढ़ी पहुँच नहीं पाती?मैं चाहूँ जोडूँ जितनी भी कड़ियाँतुम तक मेरी पहुँचक्यों बन नहीं पाती? इतनी ऊँचाई का भीबताओ क्या फायदाकि, तुम तकपहुँचते-पहुँचतेइंसान इंसान नहींप्रेम प्रेम नहीं रह जाताबीती हुयी ज़िन्दगी कि तरह। स्वप्न तभी सार्थक हैमेरे स्वप्नकि, तुम तकपहुँचने के लियेमैं जल कर महकूँ,तो सहीपर गलContinue reading “क्यों इतने दूर हो मुझसे”
आम प्रेम
प्रेम जब पक नहीं पाताकसैला हो जाता है,उस आम की तरहजो न चूसा जा सकता हैन खाया जा सकता हैन बनाया जा सकता है अचार ही। हम अक्सर क्यों भूल जाते हैंऔर सब के साथ प्रेम में ये भी,कि,हर स्त्री माँ नहीं होतीहर पुरुष पिता नहीं होता, औरहर पत्थर, पुस्तक, तस्वीरभगवान नहीं होती! काश! आमContinue reading “आम प्रेम”
सावन क्यों इतना सुंदर है
सावन क्यों इतना सुंदर हैक्यों सोया प्रेम जगाता हैजो सांसें कब की टूट चुकीक्यों उनमें प्राण जगाता है? लहराते पेड़ों पर इठलाती डालीझूम रही है बदरा काली-कालीजो बातें कब की भूल चुकीक्यों उनमें रस आ जाता है? टपक रही है पेड़ों से कल्लो रानीऔर ज़मीन पर रुका हुआ है पानीजो वक़्त कब का गुज़र चुकावोContinue reading “सावन क्यों इतना सुंदर है”