पिछली बारिश में
इन पहाड़ों पर
उग आये हैं घासों के गद्दे,
जैसे डायरी में
उग आती है तुम्हारी यादें,
एक समय था-
तुम्हारी हँसी में आराम था
ठंडे हाथों को जैसे
डाल लिया हो जेब में;
जिसे तुम गुनगुनाया करती थी
एक पुरानी ग़ज़ल सुनी आज
तुम एक बस स्टॉप हो
जहाँ रुक कर मेरी ज़िन्दगी
हो जाती है पहले सी।
-अशान्त