अंतिम शब्द

कुछ शब्द
कुछ किताबें
कुछ बातें
कुछ आवाज़ें
कुछ शिकायतें
कुछ नख़रे
कुछ इशारे
कुछ सहारे
कुछ किनारे
कुछ मुस्कानें
कुछ आँसू
कुछ तुम
कुछ हम-
सब पीछे छूट गये हैं
इस जन्म में इनका अर्थ नहीं निकलेगा
मुझे मिलेगा मोक्ष
तुम बिन जीने के बाद
मैं फिर कभी नहीं आऊँगा;
अगर मेरी बातें असर करेंगी अगले जन्म
तो हो सके तो मेरे प्रेम को अपनाना तुम
मैं नहीं भी रहूँ
मेरी असफलता को झुठलाना तुम।

मैं जा रहा हूँ,
शायद किसी दिन सागर बुला ले मुझको
भिगो लूँगा मैं अपने सूखे पैर
और उसी में ग़ुम हो जाऊँगा!

– अशान्त

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