शहद

शहद की एक बूँद
जो अपने धड़े से जुड़ी हुयी
खिंचती ही चली जा रही थी
आज ज़मीन पर गिर गयी,
एक बच्चे ने चखा तो पाया
वो अब मीठी नहीं थी-
थी तो बस एक निःस्वाद बूँद,
कौन कह सकता है
उसे कभी भौंरे घेरे रहा करते थे!

हमेशा के लिये भीड़ में एक आदमी खो गया
सुनने में आया है-
उसे बचपन में शहद बहुत पसंद था।

– अशान्त

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