ओवरब्रिज

बड़े शहर की सड़कों पर
रेलवे स्टेशन पर
हर भीड़ वाली जगह पर
ओवरब्रिज होता है।

नये-पुराने विचार
धुंधली विचारधारायें
छोटे-बड़े लोग
चल कर उसके कंधों पर
इस पार से उस पार हो जाते हैं;
काल की गतिशीलता का साक्षी
ओवरब्रिज एक स्थायित्व है
न वो किसी का है
न कोई उसका है
उस पर कोई नहीं रुकता
चल कर उस पर
बस पार हो जाते हैं।

शराब की छिपायी बोतलें
शरीर में छिपा हुआ प्यार
घर की छिपी हुयी तकरार
सब उस पर आ कर
हो जाते हैं मुखर;
वो नशा भी करता है
लेता है यौवन सुख भी
रोता है और है चिल्लाता भी
पर न वो किसी का होता है
पर न कोई उसका होता है।

कल किसी ने थूक दिया उस पर
आँसू जैसे दाग बन गये कुछ उस पर
पर उसने किसी को नहीं रोका
सत्ता
शक्ति
दौर्बल्य
प्रेम
घृणा
हिंसा
शांति
जीवन- सब क्या है?
साँसों से लेकर पूरी सृष्टि तक
सब ओवरब्रिज है-
न जाने कब से
न जाने कब तक
बिना किसी अपनत्व के
सब होते रहेंगे
इस पार से उस पार!

ओवरब्रिज एक स्थायित्व है
न वो किसी का है
न कोई उसका है
उस पर कोई नहीं रुकता
चल कर उस पर
बस पार हो जाते हैं।

– अशान्त

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