जब तुम मिल जाती हो

तुम नसीम सी हो

मन महक जाता है 
जब तुम मिल जाती हो। 
तुम दुआ सी हो 
बला टल जाती है 
जब तुम मिल जाती हो। 
तुम धागे सी हो
भावों की तुरपन हो जाती है
जब तुम मिल जाती हो।

तुम चीनी सी हो
शाम मीठी हो जाती है
जब तुम मिल जाती हो।

तुम सुरों सी हो
ज़िंदगी संगीत हो जाती है
जब तुम मिल जाती हो।

तुम ख़ुशी सी हो
सच्ची हँसी खिल जाती है
जब तुम मिल जाती हो।

तुम अपनी सी हो
खुद से मुलाकात हो जाती है
जब तुम मिल जाती हो।

– अशान्त  

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