ज़रूरी नहीं है

मैं अब चुप हूँ बस तेरे लिये ऐ जाँ
यादें हैं काफी ज़ुबाँ ज़रूरी नहीं है

न वो बोलते हैं न हम बोलते हैं
समझना न ये कि बात होती नहीं है

मेरे इश्क़ को तुम लापता क्या करोगे
ये दुनिया है दिल की ज़मीन की नहीं है

और मुश्किल करो अब इम्तेहां ज़िन्दगी के
मेरा सब खो चुका है कोई मजबूरी नहीं है

सीधे चलो लाख राह-ए-ज़िन्दगी पर
लोग सीधे मिले ये ज़रूरी नहीं है

मुझे उनके इश्क़ में सुकून मिलता है
वो मुझे याद रखें ये ज़रूरी नहीं है

तुम्हें लोग जाने तुमको समझे प्रशान्त
मसरूफ़ जहाँ में ये ज़रूरी नहीं है

– प्रशान्त

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