जिस योग किया जीवन अर्पण
माँ वो तो तेरा मातृत्व था
लिया न कुछ सब किया तर्पण
माँ वो तो तेरा कृतित्व था
तुमसे मैं हूँ वैसे ही
जैसे नदी स्त्रोत से निकलती है
ये सघन तपस्या तुम्हारी
मेरा जीवन सिंचित करती है
मैं अंश नहीं सम्पूर्ण जीवन
तुमसे ही शक्ति पाता है
असीम प्रेम की दाता जो
वही तो मेरी माता है
– प्रशान्त