सर्द गिलहरी

मेरा दोस्त कहा करता था मुझसे
सर्दी मौसम है सुस्त लोगों का
मैंने भी बोला था बचपने में
मुझे सर्दी पसंद है,
कहते हैं लोग
सर्दी मौसम है डिप्रेस्ड लोगों का
मुझे डिप्रेशन भी है!

पर, वो गिलहरी
जो उतरी थी पेड़ों से
मेरे गमले के पास
कुतर रही थी मूँगफली
जो फिसली थी पिछली रात
मेरे काँपते हाथोँ से;
कभी कभी ज़िन्दगी
फ़िसल जाती है
आँसू जमी काई
यादों के फर्श पर।

मेरी गिलहरी का बना हुआ मुँह
बयाँ करता है कमी नमक की,
ज़िन्दगी सादी है हम दोनों की ही;
सोमवार के व्रत कभी-कभार
हो जाते हैं बहुत लंबे भी।

– प्रशान्त

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