मेरी बाहों में

यूँ कुनमुनाओ मेरी बाहों में
ये रात गुनगुनी हो जाये

झटक दो बालों से बरसात
कुछ गुदगुदी हो जाये

कोई सुन न ले किस्सा मेरा
कानों में बुदबुदी हो जाये

बंद कर लो तुम अपनी आँखें
थोड़ा लुकाछुपी हो जाये

बना लो मेरे हाथ को तकिया
थोड़ी झुनझुनी हो जाये

थाम लो मेरे जज़्बातों को पहले
मेरी हर बात न अनसुनी हो जाये

-प्रशान्त

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