रिश्ता

रिश्ता ऐसा हो
जो बहे तो
जम जाये
जैसे ख़ून का थक्का,
जो हो जाता है
लाल से कत्थई
और फिर काला
ठीक,
तुम्हारे दिल तरह।

-प्रशान्त 

Leave a comment