ग़रीबी

ग़रीबी शरीर ही नहीं 
दिमाग भी खा जाती है 
जैसे कोई बिना जीभ का 
आदमखोर राक्षस 
जो स्वाद नहीं लेता 
बस निगल जाता है 
यूं ही।
निगले जाते हैं 
सपने भी हर रोज़ 
करोड़ों के 
सिर्फ़ इस कारण
कि 
वो ग़रीब थे।
-प्रशान्त   

Leave a comment