इस मुरव्वत की वजह ही नहीं

सिमट आये सब दर्द इस दिल में,इतनी इसमें जगह भी नहीं
ज़फ़ा कर के आप छुप जाएँ,ऐसी कोई वजह भी नहीं
यकीन किया था हमनें खुद ही,आपका कभी कोई इशारा ना था
आंसूं बहायें आप मेरे लिए,इस मुरव्वत की वजह ही नहीं

उम्र के तकाज़े पर वफ़ा का खेल,खेल लेते हैं
प्रेमी नए दौर के कुछ दूर,संग दौड़ लेते हैं
कब की ही थी आपने अंजाम की पेशकश
आपके अश्कों को मान सच्चा,हम ही बला फ़िज़ूल की मोल लेते हैं  

चले गए आराम-ओ-रसूख के खातिर,कहीं और आप तो फिर
बोलने मुझसे बोली हुई बातें,किसी और को आप तो फिर
मुझ खिलौने को हक़ क्या आपसे कुछ पूछे
खेलते हैं हम जैसों से ही,ताज-नशीं आप लोग फिर

ये सच कैसा है आपका,जिस पर झूठ भी शर्मिंदा है
कैसी थी दोस्ती आपकी,जो नहीं अब जिंदा है
चलो मान लेते हैं कि ये रिश्ता एक सौदा था
भीड़ का हिस्सा था तुम्हारे लिए,कौन सा मैं कोई चुनिन्दा था!

-अशांत  

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