वो चाँद

वो जो चाँद बिखरा है

मेरे बिस्तर पर 
क्या वही है जो चमकता है 
रात भर आकाश में 
या अमावस को ले छुट्टी छोटी सी 
आया है मिलने मुझसे मेरे घर पर
वो जो चाँद सिमटा है 
मेरे बिस्तर पर 
क्या वही है जो बदलता है 
पहला सा हो जाने को 
या है वो देवता 
पूजती है माँ जिसे छत पर 
वो चाँद मुझे बुलाता है 
डाल अपना रंग मुझ पर 
क्या ये वही मोहब्बत है 
जो छुप गई थी सुबह होते ही 
या है वो अफसाना,सुन जिसको 
खाते हैं मेरे यार तरस मुझ पर 
-अशांत 

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