वो लुभावनी बातों से शुरू हो,अचानक वफ़ा जो ज़फ़ा में तब्दील हुई
मैं इत्तेफाक समझता था जिसको,उनकी सोची समझी साज़िश थी
ज़िन्दगी से तुम जा चुके हो जो,मेरे सपनों से भी चले जाओ,
बड़ा मुश्किल है खुली आँखों से,अब ‘अशांत’ को नींद आना
अशांत
ज़िन्दगी से तुम जा चुके हो जो,मेरे सपनों से भी चले जाओ,
बड़ा मुश्किल है खुली आँखों से,अब ‘अशांत’ को नींद आना
अशांत