तुम तन्हा

तुम तन्हा कहाँ छोड़ गए

बस इतनी सी बात पर मुंह मोड़ गए
कल ही तो किया था तुमने इकरार
और आज ही अपना इरादा भूल गए।

ग़म है मुझे इसमे कोई शक नहीं
इस अंदाज़ से तुम दिल तोड़ गए
नाज़ुक सी सिसकी की जगह
बेवफाई के झटके से झंक्झोड़ गए।

इश्क बराबरी तो नहीं चाहती रसूखों की
तुम तो चाहत का तकाजा दे छोड़ गए
जितने सलीके से बनाया था सब कुछ
उतनी ही बेदर्दी से सब कुछ छोड़ गए।

अपनी राख से भी ना उठ पाता है
‘अशांत’ की कुछ ऐसी हस्ती छोड़ गए
अजनबी भी क्या आज बन पाऊंगा
मेरी रूह तक भी तो तुम निचोड़ गए।

ना ग़म है तन्हाई का
ना ही तेरी रुसवाई का
समझ न पाते हैं ख़ुद को
ये कैसा मुझे तुम छोड़ गए??

अशांत

One thought on “तुम तन्हा

  1. Prashant I wish you all the very best for ur upcoming life…. Dont let ur past to overcome ur bright future…. U have the capability to lead ur life as per ur desire. I can bet that no one will regret after being ur friend. U are a real jewel. For those who didnt follow ur path let them be far away from your life.

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