ये बारिश

ये बारिश मुझे तेरी याद दिलाती है
इसकी ठंडक ना मेरी तन्हाई बुझा पाती है
सोचा था इस मौसम में सुकून मिल जाएगा
पर हालातों की बिजली बहुत डराती है।

तनहा इस मौसम के नजारे देखता हूँ
रुसवा है जो किस्मत उसे ढूँढता हूँ
सामने ज़िन्दगी की नदी दिखती है
मिले तू जहाँ वो किनारा ढूँढता हूँ।

शायद सोचो जैसा चीज़ों को
वैसी ही न वो मिलती हैं
प्यार, वफ़ा, की सब जो बातें हैं
अपनी उन बातों का असर तुझमे ढूँढता हूँ।

शादाब पत्तों की हथेली पानी से भीगी है
पलकों की चिलमन के पीछे आँखें गीली हैं
इस मौसम में आँखें बंद ही रहने दो
मेरे आंसुओं को पानी होने डर लगता है।

बाहर से तन भीगा है बरसात में आज
तेरे प्यार से मन भीगा हुआ हमेशा मेरा है
फ़िर भी फुरकत की ऐसी जल रही है आग
तुझे ना पता तड़पता कितना दिल मेरा है।

अशांत

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