सिरहाने रखा ख़्वाब

सिरहाने रखा ख़्वाब जब तक पूरा ना हो जायेतब नींद आये भी तो क्यों आयेजलना है मुझे अभी खुद में हीनज़र किसी को आये या न आये। मोहब्बत की तो जरूरी नहीं तुम्हें भी मिल जायेसुन सको तो सुन लो जब होंठ सिल जायेंबोलना है मुझे अब सब ख़ुद से हीमहफ़िल में मेरी कोई आये याContinue reading “सिरहाने रखा ख़्वाब”

अब भी तेरे इंतज़ार में बैठे हैं

जो धड़क उठे वो दिल ही क्याहम तेरी आरज़ू में बेहाल बैठे हैंसुन्न सब अब कुछ लगता नहींअब भी तेरे इंतज़ार में बैठे हैं परस्तिश तुम्हारी नूरी निगाहों कीमोहब्बत थी मुरव्वत नहींचुप रहना नहीं बेशिकवा होनासारे मुंसिफ़ क्यों चुप बैठे हैं आशिकी का करम है येजीना भी एक अदा बन जाती हैजी लिया हमने भी जैसे तैसेऐ क़ज़ाContinue reading “अब भी तेरे इंतज़ार में बैठे हैं”

De-stigmatising RAPE

            The incident of brutal sexual assault on the 23-year old physiotherapy student in 2012 by six men in our national capital raised serious questions on the collective conscience of this country. The brave girl who reportedly was fighting for her life with utmost courage fatally succumbed to the gory show of masculinity manifested uponContinue reading “De-stigmatising RAPE”

तू सो जा गुडिया

हर उस बेटी के लिये जो अपने सपनों को जीने के लिये अपनी माँ और अपने घर से दूर है। छोटी सी गुड़िया प्यारी सी गुडिया बंद कर के मुट्ठी में चंदा की पुड़िया सपनों के आँगन में दूर घर से फिर भी ममता के आँचल में तू सो जा तू सो जा तुझे जगनाContinue reading “तू सो जा गुडिया”

संघर्ष

इलाहाबाद के छोटे कमरों में बड़े सपनों के साथ रहने वाले कई छात्रों के दुरूह जीवन को अभिव्यक्त करने  का प्रयत्न इन पंक्तियों  द्वारा करने का प्रयास किया है। आलोचना एवं टिप्पणियां आमंत्रित हैं।  कल, बाद आधी रात के  जब सब कुछ सोया-सोया था, तो जग रहीं थी  बस मेरी आँखें  हरहराता कूलर, और  उसकी हवाContinue reading “संघर्ष”

बहुत दिनों से

बहुत दिनों सेमैंने देखा नहीं तुमकोऔर ना हीसुनी तुम्हारी आवाज़पर,एक छाया धुंधली सीहै रेखांकित कहीं मन मेंजिसमें दिख तो नहीं रहीपर खुल के खिलखिला रही हो तुम। नहीं है उस छवि मेंउत्तेजना का आवेगऔर ना हैगर्मी प्रतिस्पर्धा की,वो जो संचित है छवि तुम्हारीचेहरा दिखता नहीं तुम्हारापर है उसमें आभा शीतलता की। क्यों आवश्यक है?सृजन किसी सम्बन्ध कानिजताContinue reading “बहुत दिनों से”

Of course it was no fault of mine!

Of course, it was no fault of mine!Why would otherwise,In the utter darkness,The radiant Sun would shine?Not the Sun that adorns the galaxies high aboveBut the Sun within me which has no start or endThe eternal soul bound to ethereal loveFlowing like a river without a bendProving all the way It was no fault of mine!WhereContinue reading “Of course it was no fault of mine!”