तेरी मोहब्बत

जिस साँस में नहीं तुम उस पर तोहमत है,
हर ज़र्रा रोशन जिस से वो तेरी मोहब्बत है।

बड़ा पाक है तेरे साये का हसीन असर,
हर रंग-ए-ज़िंदगी बस तेरी उल्फ़त है ।

रहेगा ये वक़्त, ये दुनिया और उसके सितम,
मिले जो तेरी पलकों का साया तो राहत है।

नहीं बदलती सरे शब अब मेरी साँसें,
मेरी हर सहर सबा-ए-वफ़ा से ज़ीनत है।

कई नामों में दबी थी जब तक मेरी साँसें,
ना पता था गुमनामी-ए-इश्क बड़ी ताकत है।

– अशान्त

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