घुट के जीना होगा अब पर मरना नहीं होगा
ये प्यार जाना अब हमसे फिर नहीं होगा
मिले थे जिन मोहल्लों में दिल के तुमसे छिप कर हम
अब उन गलियों में जाना जाना फिर नहीं होगा
ये माना देर कर दी हमने तुमको खुद को बताने में
ज़िन्दगी अब भी होगी मशविरा पर हमारा नहीं होगा
तुम्हारे होंठ के तिल पर ठिठक जाती थी जो धड़कन
अब वैसा हँसना हँसाना फिर नहीं होगा
किसने क्या खोया ज़माने में क्या हमें मालूम
इस जनम में इस जिस्म से तुमको पाना फिर नहीं होगा
काश छू पाते हम तुम्हारी साँसों को कभी
अब तो तुम तक आना जाना फिर नहीं होगा
तुम्हारी याद में रो रो कर छोटी हो गयी आँखें
देख लेते जी भर पता होता ये नज़ारा फिर नहीं होगा
तुम अपने साथ हमारा रंग भी ले गये
चमक सकता है ये चेहरा ऐसा काला फिर नहीं होगा
बातें तुमसे जब भी की नहीं कोई शिकायत की
यूँ बेबस फ़साना ज़िन्दगी में तुम्हारी फिर नहीं होगा
जो रूखा एक लफ़्ज़ भी निकला है मेरी ज़ुबाँ से
तुम्हारी झिड़की के लिये ये बहाना फिर नहीँ होगा
जितना हम तड़पते है उतना तुम भी तड़पते हो
तुम्हारे हाथ में है हाथ पर हमारा कोई फिर नहीं होगा
कट कर पतंग जैसे गिर जाती है किसी भी छत
हमारे प्यार को ऐसा हश्र गवारा फिर नहीं होगा
न बोलो तुम तुम्हें सुनने को हमारी आँखें काफ़ी हैं
ये जानते हैं हम हमारा मिलना फिर नहीं होगा
तुम्हारे हाथ में जो हमारी काग़ज़ की अंगूठी है
यादों का कारीगर ऐसा दुबारा फिर नहीं होगा
खुशी है क्या नहीं पता हमको न दुःख का कोई साथी है
बस इतना जानते हैं हम ग़म कम हमारा फिर नहीं होगा
ढल जायेगा जब ये जिस्म और रुक जायेंगी ये साँसें नैना
इन्तज़ारी अशान्त सा आशिक़ तुम्हारा फ़िर नहीं होगा
ये प्यार जाना हमसे अब फिर नहीं होगा….
– अशान्त