तुम्हारे लिये
कुछ तो होगा यहाँ;
ताज़े नहीं सही बिखरे फूलों की ख़ुशबू
तो होगी तुम्हारे लिये,
प्यार नहीं सही किसी की दुत्कार
तो होगी तुम्हारे लिये,
मंच नहीं सही नेपथ्य की संभावना
तो होगी तुम्हारे लिये,
पुरस्कार नहीं सही कुछ सांत्वना
तो होगी तुम्हारे लिये,
उपलब्धि नहीं सही सादी ज़िन्दगी
तो होगी तुम्हारे लिये,
कुछ भी नहीं सही तुम्हारी रूह
तो होगी तुम्हारे लिए।
और नहीं है ये सब भी तो ग़म क्या
कोई रहगुज़र मिलेगी तुमको
जो होगी तुम्हारे लिये।
– प्रशान्त