सब बदलता है दुनिया में तुमको भी पता है
अब जीना हो अगर तो बदल जाओ तुम भी
सब उसूलों की आजमाइश होगी तुम पर ही
प्यार करना हो अगर तो बदल जाओ तुम भी
झुकते पेड़ों पे पत्थर पड़े हैं और पड़ेंगे ही
हरे रहना है अगर तो बदल जाओ तुम भी
ज़िन्दगी क्या है सहूलियत का दूसरा नाम
साँस लेना है अगर तो बदल जाओ तुम भी
दिल ही तो टूटा है कोई जान नहीं गयी है
आगे बढ़ना अगर तो बदल जाओ तुम भी
कुछ भी कर लो इल्ज़ाम लगेंगे तुम पर
बचना है अगर तो बदल जाओ तुम भी
और ऐसा भी क्या खोया है तुमने “प्रशान्त”
यहाँ साबुत रहना है तो बदल जाओ तुम भी
– प्रशान्त